जॉन मैक्सवेल ने एक व्यवसायी से बात की, जिसकी कंपनी ने बन्द हो रहे होटलों को खरीदा और उन्हें फिर से खड़ा किया ताकि वे लाभ कमाना शुरू कर सकें। मैक्सवेल ने पूछा कि क्या कोई एक ऐसा काम है जो कंपनी हमेशा बन्द हो रहे होटलों को खरीदने पर करती है। व्यवसायी ने कहा, "हम हमेशा मैनेजर को निकाल देते हैं। हम यह देखने के लिए प्रतीक्षा नहीं करते कि वह एक अच्छा मैनेजर है या नहीं। हम पहले से ही जानते हैं कि वह एक अच्छा मैनेजर नहीं है क्योंकि होटल बन्द हो रहा है।"
किसी समूह की सफलता को उसकी अगुआई निर्धारित करती है
यदि कोई सिद्धहस्त खिलाड़िओं की टीम असफल हो रही है, तो मालिक केवल नए खिलाड़ियों की तलाश नहीं करते; वे नए कोच की तलाश करते हैं। कोई भी संगठन गुणहीन अगुए के साथ आगे नहीं बढ़ सकता।
एक सच्चा अगुआ अपने संगठन की विफलता के लिए बहाने नहीं बनाता। यदि संगठन विफल होता है, तो वह आप भी विफल होता है।
► अगुआई क्यों महत्वपूर्ण है?
एली इस्राएल का एक महायाजक था। क्योंकि कोई राजा नहीं था, इसलिए जनजातियाँ किसी राजा के अधीन एकजुट नहीं थीं। महायाजक संभवतः राष्ट्र का सबसे प्रभावशाली नेता था।
बड़े दुख की बात है कि एली एक कमज़ोर नेता था। उसका व्यक्तिगत चरित्र अच्छा था, परन्तु वह अपने पुत्रों को सही काम करने के लिए प्रेरित नहीं कर पाया। उसके बेटे यौन अनैतिक थे, आराधना के तरीकों में लापरवाह थे, और लाभ के लालची थे। उनके कारण, कई लोग मंदिर की आराधना को तुच्छ समझते थे (1 शमूएल 2:12-17, 22, 29)।
एली को अपने बेटों को उनके पदों से हटा देना चाहिए था, परन्तु उनकी इच्छाएँ उसके लिए उसकी निर्धारित जिम्मेदारी से ज़्यादा महत्वपूर्ण थीं।
एली को राष्ट्र को आत्मिक आराधना और पवित्र जीवन में नेतृत्व करना चाहिए था; परन्तु उसका प्रभाव उसके पुत्रों तक ही सीमित रहा, बजाए इसके कि उसके पुत्रों के द्वारा राष्ट्र तक फैलता।
कारण कि लोगों को जो करना चाहिए वह नहीं करते
(1) वे जानते नहीं कि उन्हें क्या करना है।
यह जानकारी की कमी होती है। अगुए को जानकारी उपलब्ध करवानी चाहिए। यदि उसके पास सारी ज़रूरी जानकारी नहीं है, तो उसे अपनी सहायता के लिए किसी को तलाशना चाहिए।
(2) वे जानते नहीं कि उन्हें कैसे करना है।
यह प्रशिक्षण की कमी है। हो सकता है कि अगुए के पास संस्था में आवश्यक सभी कौशल न हों, परन्तु उसे प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए।
(3) वे जानते नहीं कि उन्हें यह क्यों करना चाहिए।
यह प्रेरणा की कमी है। कभी-कभी संस्था में लोग संस्था के लक्ष्यों को नहीं समझते हैं। या हो सकता है कि वे समझते हों, परन्तु परवाह नहीं करते। अगुए को लोगों को लक्ष्य साझा करने में सहायता करनी चाहिए।
(4) कुछ समस्याएं हैं उन्हें ऐसा करने से रोक रही हैं।
यह उपकरण और संस्था की कमी है। अगुए को लोगों की उन समस्याओं को हल करने में सहायता करनी चाहिए जो उन्हें आगे बढ़ने से रोकती हैं।
यह सूची चार सामान्य कारण बताती है कि संस्था में लोग वह नहीं करते जो उन्हें करना चाहिए। ये सभी चार कारण अगुआई की विफलता को दर्शाते हैं।
जब कोई अगुआ शिकायत करता है कि उसके लोग वह नहीं करते जो उन्हें करना चाहिए, तो वह घोषणा कर रहा है कि वह अगुआई करने में विफल रहा है। उदाहरण के लिए, एक पास्टर जो शिकायत करता है कि उसकी कलीसिया सुसमाचार प्रचार नहीं करती है, उसे इन प्रश्नों पर विचार करना चाहिए:
क्या मैंने उन्हें समझाया कि उन्हें सुसमाचार प्रचार करना चाहिए?
क्या मैंने उन्हें सुसमाचार प्रचार करना सिखाया (उन्हें एक आदर्श दिखाकर)?
क्या मैंने उन्हें सुसमाचार प्रचार करने के लिए प्रेरित किया?
क्या मैंने उन्हें उन समस्याओं का सामना करने में सहायता की जो उन्हें सुसमाचार प्रचार करने से रोकती हैं?
यदि दो सेनाएँ एक ही आकार की हों और उनके पास एक ही हथियार हों, तो कौन जीतेगा? सबसे अच्छे सेनापति वाली सेना जीतेगी।
दो खिलाड़ी टीमों में समान रूप से प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं। कौन सी टीम जीतेगी? सबसे अच्छे कोच वाली टीम जीतेगी।
प्रेरणा की चुनौती
► एक पुरानी कहावत है, “कलम तलवार से ज़्यादा तेज़ है।“ इसके अर्थ को लेकर आपका क्या विचार है?
इसका अर्थ है कि एक विचार, प्रोत्साहन और वार्तालाप में शक्ति होती है। एक विचार का हथियार से ज़्यादा प्रभाव होता है। "कलम" का अर्थ है लिखकर वार्तालाप करना, परन्तु किसी भी रूप में प्रेरक वार्तालाप लोगों को उनकी इच्छा के विरुद्ध मजबूर करने से ज़्यादा शक्तिशाली होता है।
जो लोग किसी के अधिकार से मजबूर होते हैं, वे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं करते। वे अपनी ऊर्जा और विचारों को काम में नहीं लगाते। आप लोगों को मजबूर करने की तुलना में उन्हें प्रेरित करके ज़्यादा प्राप्त कर सकते हैं। एक विचार - एक धारणा - फैल सकती है और लाखों लोगों को प्रभावित कर सकती है।
दूसरा विश्व युद्ध शब्दों की शक्ति का एक उदाहरण है। दूसरा विश्व युद्ध शब्दों का युद्ध था, विचारों का युद्ध था।
यह शब्दों का युद्ध क्यों था? एडोल्फ हिटलर एक शक्तिशाली वक्ता था। उसने जर्मनी के लिए अपना दृष्टिकोण व्यक्त किया, और जर्मनों ने उसे अपना नेता बना लिया। उसने उन्हें आश्वस्त किया कि वे ही वह प्रमुख जाति हैं जिसे दुनिया पर शासन करना चाहिए। यहाँ तक कि कुछ चर्च भी उसे मसीहा के रूप में बोलने लगे और कहने लगे कि जर्मनी ईश्वर का राज्य है। हिटलर ने जर्मनी को इतिहास के कुछ सबसे भयानक कार्यों में नेतृत्व किया। उसने यह सब शब्दों की शक्ति से किया। कभी-कभी लोग सोचते हैं कि शब्दों से कोई नुकसान नहीं हो सकता, परन्तु हिटलर के शब्दों ने लाखों लोगों की जान ले ली।
जब हिटलर जर्मनी में अपनी ताकत बढ़ा रहा था, तो इंग्लैंड के कुछ लोगों को लगा कि उनके लिए कोई खतरा नहीं है। जब इंग्लैंड में नए प्रधानमंत्री का चुनाव करने का समय आया, तो कुछ उम्मीदवारों ने लोगों से वादा किया कि उन्हें शांति मिलेगी। परन्तु विंस्टन चर्चिल ने लोगों से सच कहा। उन्होंने कहा, "मैं आपको खून, पसीना और आँसू अर्पित करता हूँ।" उन्हें इसलिए चुना गया क्योंकि उन्होंने समस्याओं का सामना किया था।
चर्चिल के भाषणों ने इंग्लैंड को जर्मनी के खिलाफ़ स्वयं की रक्षा के लिए एकजुट किया। उन्होंने कहा, "हम समुद्र और हवा में लड़ेंगे। यदि वे हमारे तटों पर उतरते हैं तो हम समुद्र तटों पर लड़ेंगे। हम हर शहर में हर गली में उनसे लड़ेंगे। हम कभी हार नहीं मानेंगे। हम कभी आत्मसमर्पण नहीं करेंगे।"
हिटलर और चर्चिल के भाषणों के द्वारा हम शब्दों की ताकत देखते हैं। एक तरह से, हर युद्ध शब्दों का युद्ध है।
► इस कथन की व्याख्या करे कि हर युद्ध शब्दों का युद्ध है। यह आपको अगुआई के विषय क्या बताता है?
कभी-कभी एक अगुआ सोचता है कि वह केवल पैसे देकर ही सहायता पा सकता है। वह सोचता है कि यदि वह अपने लोगों को ज़्यादा पैसे देगा तो वे ज़्यादा काम करेंगे। यह आमतौर पर सच नहीं होता। लोग किसी संस्था की सहायता इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें उस पर भरोसा होता है। वे कड़ी मेहनत करते हैं क्योंकि उनके लक्ष्य एक जैसे होते हैं।
जब तक हर कोई एक सुविचारित और साझा लक्ष्य की ओर काम नहीं कर रहा है, तब तक आप सार्थक काम नहीं कर सकते। परन्तु इतना ही पर्याप्त नहीं है। यह निर्भर करता है कि आप लक्ष्य तक कैसे पहुँचते हैं। आपको मान्यताओं द्वारा निर्देशित होना चाहिए। आपको लक्ष्य और वहाँ पहुँचने के तरीके दोनों पर गर्व होना चाहिए।[1]
► इसका क्या अर्थ है आपको लक्ष्य और वहाँ पहुँचने के तरीके दोनों पर गर्व होना चाहिए?
एक व्यवसायी अपने कर्मचारियों को केवल वेतन देकर एक बढ़िया कंपनी नहीं बना सकता। उसे उन्हें लक्ष्य और मान्यताओं के साथ आगे बढ़ाना चाहिए। यदि यह मात्र पैसे की ही बात हो, तो लोग व्यवसाय के लक्ष्यों के लिए काम नहीं करते। उन्हें गुणवत्ता की परवाह नहीं होती और उन्हें अपने काम पर गर्व नहीं होता।[2]
अति आवश्यक काम पैसे के लिए नहीं किए जाते। उन चीज़ों के बारे में सोचें जो लोग अपने परिवार और बच्चों के लिए करते हैं। वे उन चीज़ों को पैसे के लिए नहीं करते, बल्कि ज़्यादा महत्वपूर्ण मान्यताओं के कारण करते हैं। लोग अपनी मान्यताओं से प्रेरित होते हैं।
सेवाकार्य में, अगुआई कौशल व्यापार जगत की तुलना में और भी अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि कलीसिया में काम करने वाले अधिकतर स्वयंसेवक होते हैं। अगुआ उनमें से अधिकांश के लिए वेतन वाली नौकरी का प्रोत्साहन नहीं दे सकता। जो लोग कलीसिया की मदद करते हैं, वे ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि वे कलीसिया में विश्वास करते हैं। यदि कलीसिया को स्थानीय स्तर पर धन और ऊर्जा से समर्थन नहीं मिलता है, तो अगुआ विफल हो गया है।
► आपकी कलीसिया में कौन लोग सहायता करते हैं? वे ऐसा क्यों करते हैं?
एक अगुए के कार्य को संक्षेप रूप में इस तरह दर्शाया गया है:
लोगों को बताएं कि काम क्यों सार्थक है। तय करें कि आप कहां जा रहे हैं। सुनिश्चित करें कि टीम लक्ष्य को साझा करती है। मूल्य निर्धारित करने में मदद करें। संसाधन जुटाएँ... सुनिश्चित करें कि आपको संस्था के अंदर और बाहर दोनों जगह से ज़रूरी समर्थन मिल रहा है। मुसीबत से बचने के लिए भविष्य पर नज़र रखें और दिशा बदलने के लिए तैयार रहें।[3]
[1]Ken Blanchard and Sheldon Bowles, Gung Ho: Turn on the People in Any Organization (New York: William Morrow, 1997), 38
"व्यस्त होने का अर्थ हमेशा वास्तव में काम नहीं होता। सभी कामों का उद्देश्य उत्पादन या उपलब्धि है, और इनमें से किसी भी लक्ष्य के लिए पूर्व विचार, व्यवस्था, योजना, बुद्धिमत्ता और सही उद्देश्य के साथ-साथ पसीना बहाना भी ज़रूरी है।"
- थॉमस एडीसन
[3]Ken Blanchard and Sheldon Bowles, Gung Ho: Turn on the People in Any Organization (New York: William Morrow, 1997), 79
अगुआई और अन्य योग्यताएँ
यदि किसी व्यक्ति के पास किसी काम में कौशल है परन्तु अगुआई करने की क्षमता नहीं है तो वह अकेले या किसी के निर्देशन में काम करेगा। परन्तु जिस व्यक्ति के पास उच्च स्तर का कौशल है और अगुआई करने की क्षमता भी है, वह दूसरों की अगुआई करने और अधिक काम करने में सक्षम होगा।
प्रेरित पौलुस ने बड़े शहरों में कलीसियाओं का नेटवर्क शुरू किया। उसने हर स्थान पर अगुओं को नियुक्त किया, क्योंकि वह जानता था कि कलीसिया को हर क्षेत्र में बढ़ने के लिए कई अगुओं की ज़रूरत है।
पौलुस ने कुछ लोगों को अपने साथ मिशनरी यात्राओं पर ले जाकर उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया (प्रेरितों 16:3, प्रेरितों 19:22)। पौलुस ने अगुओं को विकसित करने की ज़रूरत पर लगातार ज़ोर दिया। उसने तीमुथियुस से कहा कि वह ऐसे विश्वासयोग्य पुरुषों की तलाश करे जो दूसरों को सिखाने में सक्षम हों (2 तीमुथियुस 2:2)।
एक मोटर मैकेनिक जिसके पास नेतृत्व क्षमता है, वह अपने लिए काम करने वाले अन्य मैकेनिकों के साथ मिलकर व्यवसाय करने में सक्षम हो सकता है। यदि वह अगुआ नहीं है, तो वह अकेले या किसी और के लिए काम करेगा।
नितिन को पता है कि घरों पर हर तरह का निर्माण कार्य कैसे करना है। वह बेहतरीन काम करता है और ईमानदार है। उसके ग्राहक उसे दूसरों को सुझाते हैं, और उसके पास हमेशा और भी काम रहता है। नितिन के पास कोई कर्मचारी नहीं है क्योंकि वह सब कुछ करना जानता है और वह ऐसा कर्मचारी नहीं चाहता जो शायद उसे अच्छे से न कर सके। चूँकि नितिन कोई अगुआ नहीं है, इसलिए उसका व्यवसाय कभी भी उस काम से बड़ा नहीं होगा जो वह अकेले कर सकता है।
अगुआई कौशल व्यक्ति की अन्य योग्यताओं के मूल्य को कई गुना बढ़ा देता है। किसी भी क्षेत्र में उच्च योग्यता रखने वाला व्यक्ति अपनी अगुआई क्षमता को बढ़ाकर अपनी प्रभावशीलता बढ़ा सकता।
एक अगुए की विश्वसनीयता
एक विश्वसनीय अगुआ लोगों को वह प्रदान करता है जिसकी उन्हें सफल होने के लिए आवश्यकता होती है। अगुआ उनकी सफलता के लिए वातावरण बनाता है। उन्हें यह जानने की आवश्यकता है कि वह अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा करेगा ताकि वे अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा कर सकें।
यदि अगुआ विश्वसनीय नहीं है, तो लोग संस्था के लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सकते हैं, इसलिए वे लक्ष्यों को त्याग कर एक-साथ मिल जाते हैं। एक अगुआ जो विश्वसनीय नहीं है, वह लोगों को बार-बार समझाता है कि उसने वह क्यों नहीं किया जिसकी उन्होंने आशा की थी।
एक अगुए को समस्याओं के लिए तैयार रहना चाहिए। उसे रुकावटों और बाधाओं के लिए योजना बनाने और उनके लिए तैयार रहने की आवश्यकता है। एक अगुआ जानता है कि चीजें हमेशा बदलती रहती हैं। उसे पता चलता है कि परिवर्तन नई समस्याएँ ला सकते हैं, इसलिए वह तैयारी करता है। अन्य लोग परिस्थितियों को वैसे ही ले सकते हैं जैसे वे आती हैं, परन्तु एक अगुए को अगुआई करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
रोहन एक निर्माण दल का फोरमैन था। उसके सुपरवाईज़र ने उसे बताया कि दिन के अंत तक कुछ दीवारें बनाने की आवश्यकता है, इसलिए रोहन ने अपने दल को बताया। हालाँकि, सामग्री नहीं आई क्योंकि सुपरवाईज़र उन्हें भेजना भूल गया। रोहन ने दल को समझाया कि लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सका। ऐसा कई बार होने के बाद, रोहन के लिए अपने दल से यह कहना मुश्किल हो गया कि उन्हें कोई काम जल्दी से करना चाहिए।
स्वाति एक स्कूल शिक्षिका थी। एक दिन वह स्कूल पहुँची और प्रिंसिपल ने उसे बताया कि उस दिन उसकी कक्षा का इस्तेमाल दूसरे समूह द्वारा किया जाएगा। वह दूसरी जगह पढ़ाने के लिए तैयार नहीं थी और उसके पास कक्षा से अपनी ज़रूरत की चीज़ें हटाने का समय नहीं था।
सेवाकार्य में अगुआई
बाइबल हमें बताती है कि परमेश्वर ने प्रेरितों, भविष्यद्वक्ताओं, सुसमाचार प्रचारकों, पास्टरस और शिक्षकों को बुलाया है (इफिसियों 4:11-12)। परमेश्वर आवश्यक योग्यताएँ भी प्रदान करता है।
परमेश्वर की बुलाहट व्यक्ति को अगुआई करने का अवसर तो देती है, परन्तु सफलता की गारंटी नहीं देता। यदि किसी व्यक्ति का व्यवहार उसके प्रभाव को बढ़ाने के बजाय कम कर देता है, तो वह सफल नहीं हो सकता।
इफिसियों 4:11 में सूचीबद्ध सेवकाई की भूमिकाओं को देखिए। एक प्रचारक कैसे सफल होगा यदि लोग सोचते हैं कि वे उस पर विश्वास नहीं कर सकते? एक शिक्षक कैसे सफल हो सकता है यदि लोगों को पता चले कि वह ऐसी बातें सिखाता है जो गलत हैं? एक पास्टर कैसे सफल हो सकता है यदि लोगों को पता चले कि वह उनसे केवल लाभ कमाना चाहता है?
प्रभाव के बिना, कोई व्यक्ति सेवकाई में सफल नहीं हो सकता। ये सेवकाई भूमिकाएँ अगुआई की भूमिकाएँ हैं, क्योंकि वे प्रभाव पर निर्भर करती हैं।
अगुआई के विषय कुछ गलत धारणाएँ
► प्रत्येक तर्क को पढ़ने के बाद और व्याख्या को पढ़ने से पहले, इस प्रश्न का उत्तर दें, “इस विचार में क्या गलत है?”
(1) अगुआ वह है जो दूसरों द्वारा सेवा प्राप्त करता है।
अगुआ वह व्यक्ति होता है जो समूह की ज़रूरतों को पूरा करने का तरीका खोजता है। इसलिए लोग उसे अगुए के रूप में स्वीकार करते हैं। यीशु ने कहा कि उनके राज्य में अगुआ वह है जो सेवा करता है। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा व्यक्ति हर किसी का सेवक होता है (मत्ती 23:11)। अगुआ दूसरों के लिए अपने हितों का त्याग करता है।
(2) एक सेवकाई-अगुआ अपने विश्वासियों से अधिक आत्मिक और पवित्र होता है।
सच्चाई तो यह है कि कई कलीसियाओं में ऐसे सदस्य हैं जो पास्टर से भी अधिक आत्मिक होते हैं। अगुआई क्षमता आत्मिकता को प्रमाणित नहीं करती।
(3) सेवकाई की अगुआई में पदोन्नति व्यक्तिगत प्रयास पर निर्भर करती है।
पदोन्नति पाने के लिए मनुष्य के प्रयास प्राय: पर सफल नहीं होते। हमें अपनी ज़िम्मेदारियों को बेहतर तरीके से निभाना चाहिए और परमेश्वर पर भरोसा रखना चाहिए कि वे हमें सही जगह पर रखेंगे। अगुआई की स्थिति में आने के अपने प्रयास में कभी भी ऐसा कुछ न करें जो परमेश्वर का सम्मान न करे। यदि आप परमेश्वर का सम्मान करके वहाँ नहीं पहुँच सकते, तो आपको वहाँ नहीं होना चाहिए।
परमेश्वर के चुने हुए अगुए अक्सर ऐसे लोग होते हैं जो पद की तलाश में नहीं होते। जॉन क्राइसोस्टोम को 397 ई. में कांस्टेंटिनोपल के आर्कबिशप के रूप में चुना गया था। पहले तो उन्होंने पद से इनकार कर दिया क्योंकि उन्हें लगा कि वे योग्य नहीं हैं। बाद में, उन्होंने सेवा के पदों के प्रति उचित दृष्टिकोण के बारे में लिखा। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति बैल चराने से इनकार करता है, तो यह आश्चर्यजनक नहीं होगा क्योंकि यह पद निम्न है। यदि कोई व्यक्ति राजा बनने से इनकार करता है, तो वह शायद सोचता है कि यह पद उसके लिए बहुत ऊंचा है। यदि कोई व्यक्ति सेवा के पद से इनकार करता है, तो यह किसी भी कारण से हो सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह सेवा को उच्च पद मानता है या निम्न।[1]
► इस पाठ के कारण आप अपने लक्ष्यों या गतिविधियों में किस प्रकार के परिवर्तन होने की आशा करते हैं?
पाँच सारांश कथन
1. यदि कोई संस्था विफल हो रही है, तो इसका अर्थ है कि उसका अगुआ भी विफल हो रहा है।
2. प्रशिक्षण और प्रेरणा अगुआई के कार्य हैं।
3. लोग अपने लक्ष्यों और उन्हें प्राप्त करने के तरीके पर गर्व करना चाहते हैं।
4. अगुआई कौशल व्यक्ति की अन्य योग्यताओं के मूल्य को कई गुना बढ़ा देता है।
5. अगुए की विश्वसनीयता संस्था की विश्वसनीयता को निर्धारित करती है।
पाठ 3 के कार्य
1. इस पाठ से जीवन बदलने वाली धारणा का सारांश देते हुए एक लेख लिखें। समझाएँ कि यह क्यों महत्वपूर्ण है। इससे क्या लाभ हो सकता है? इसे न जानने से क्या हानि हो सकती है?
2. व्याख्या करें कि आप इस पाठ के सिद्धांतों को अपने जीवन में कैसे लागू करेंगे। यह पाठ आपके लक्ष्यों को कैसे बदलता है? आप अपनी गतिविधियों को कैसे बदलने की योजना बनाते हैं?
3. पाठ 3 के लिए पाँच सारांश कथन याद करें। अगले कक्षा सत्र की शुरुआत में उन्हें याद से लिखने के लिए तैयार रहें।
4. अगले सत्र से पहले, पढ़ें 1 राजाओं 19:19-21 और 2 राजाओं 2:1-15। इस विवरण में दर्शाई गई अगुआई परिवर्तन के विषय लिखें।
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