कुछ लोग सोचते है कि क्योंकि हम सभी परमेश्वर के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं, इसलिए कलीसिया में किसी को भी दूसरों पर अधिकार नहीं होना चाहिए। अन्य लोग कहते हैं कि वे अगुआई में विश्वास करते हैं परन्तु ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे कि वे किसी भी आत्मिक अधिकार से मुक्त हैं।
► क्या बाइबल सिखाती है कि कलीसिया में अधिकार होना चाहिए? उदाहरण दें।
बाइबल कई स्थानों पर कलीसिया की अगुआई का वर्णन करती है।[1] (यह कुछ उदाहरण हैं: इब्रानियों 13:7, 17; तीतुस 1:5, रोमियों 12:8, 1 कुरिन्थियों 14:40, और 1 तीमुथियुस 5:17।)
अगुआई को प्रभाव के रूप में परिभाषित करने से हमें कलीसिया में अगुआई की भूमिकाओं को देखने में सहायता मिलती है। कुछ विशेष भूमिकाएँ परमेश्वर द्वारा तैयार की गई हैं ताकि अगुए कलीसिया को उसके उद्देश्यों को पूरा करने में सहायता कर सकें।
► समूह के लिए एक छात्र को इफिसियों 4:11-12 पढ़ना चाहिए।
[2]सभी सेवा भूमिकाओं को इस सूची में विशेष बुलाहटों के साथ पहचाना नहीं जा सकता है। उदाहरण के लिए, एक संगीतकार या आराधना अगुआ इनमें से एक नहीं हो सकता है। जबकि, प्रत्येक सेवकाई की अगुआई की भूमिका कलीसिया को उसके उद्देश्यों को पूरा करने में सहायता करने पर केंद्रित होनी चाहिए।
अगुआई करने की भूमिकाएँ प्रचार, सिखाने और सुसमाचार प्रचार तक सीमित नहीं हैं। कलीसिया की ज़िम्मेदारी इनसे कहीं ज़्यादा विशाल है। कलीसया के लोग व्यावहारिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भी मिलकर काम करते हैं। एक व्यक्ति जो बागवानी के लिए उपकरण साझा करने के लिए लोगों की अगुआई करता है, वह कलीसिया को अपने सदस्यों की देखभाल करने के अपने उद्देश्य को पूरा करने में सहायता कर रहा है। कलीसिया की जिम्मेदारियां चर्च भवन में होने वाली गतिविधियों से परे कई अगुआई की भूमिकाओं को आवश्यक बनाती हैं।
[1]यदि समूह में कोई भी यह तर्क देता है कि क्लीसिया में अगुआई आवश्यक नहीं है या बाइबल के अनुसार नहीं है, तो समूह कोष्ठक में सूचीबद्ध पदों की जांच कर सकता है। इस मुद्दे पर ज़्यादा समय बिताने से बचें।
इस पाठ में हम जिस पवित्रशास्त्र का अध्ययन करते हैं, वह विशेष रूप से पास्टरस और डीकन पर लागू होता है। जबकि, अधिकांश योग्यताएँ चरित्र के बारे में हैं, योग्यताओं के बारे में नहीं। सभी मसीहियों में यहाँ वर्णित चरित्र होना चाहिए। यदि अगुओं में यह चरित्र है तो वे अधिक प्रभावी होंगे। जब आप प्रत्येक चरित्र गुण को देखते हैं, तो सोचें कि यह किसी व्यक्ति के प्रभाव को कैसे प्रभावित करता है।
प्रेरित पौलुस ने उन सभी नए कलीसियाओं के लिए अगुओं को नियुक्त किया जहाँ विश्वासी लोगों के समूह थे (प्रेरितों 14:23)। इनमें से कई नए पास्टरस थोड़े समय के लिए ही विश्वासी हुए थे। यह निश्चित है कि वे इन सभी योग्यताओं को पूरी तरह से पूरा नहीं करते थे, परन्तु पौलुस ने उपलब्ध उत्तम अगुओं को नियुक्त किया। वे ऐसे लोग थे जिनमें विकास की क्षमता थी। परमेश्वर ऐसे व्यक्ति का प्रयोग कर सकता है जो मसीह और सेवकाई के प्रति समर्पित होता है, भले ही सभी गुण पूरी तरह से विकसित न हों।
हमारे पास पास्टरस और डीकनस की योग्यताओं के बारे में दो अंश हैं। इन्हें प्रेरित पौलुस ने तीमुथियुस और तीतुस को लिखा था। तीमुथियुस इफिसुस की कलीसियाओं का सेवक था, और तीतुस क्रेते की कलीसियाओं का सेवक था। उनका काम प्रत्येक स्थानीय मण्डली के लिए सेवकों को नियुक्त करना था।
► समूह के लिए एक छात्र को 1 तीमुथियुस 3:1-7 पढ़ना चाहिए।
पास्टरस की योग्यताएँ
(1) निर्दोष
पास्टर को गलत काम करने का दोषी नहीं पाया जाना चाहिए। यदि पास्टर स्वयं सही काम नहीं कर रहा है तो वह दूसरों को सही काम करने के लिए प्रेरित नहीं कर सकता। पास्टर को ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जिसने समय की अवधि में लगातार मसीही जीवन दिखाया हो। यह आवश्यक है ताकि कलीसिया समाज में एक अच्छी गवाही देने के लिए उस पर भरोसा कर सके।
ऐसी जगह जहाँ कलीसिया की स्थापना हुए ज़्यादा समय नहीं हुआ है, वहाँ पास्टर शायद ज़्यादा समय से मसीही न रहा हो। हो सकता है कि उसमें परिपक्वता की सभी विशेषताएँ न हों, परन्तु उसे ऐसा जीवन दिखाना चाहिए जो परमेश्वर को समर्पित हो। उसे अपनी गलतियों को स्वीकार करने और अपने व्यवहार को सुधारने के लिए तैयार रहना चाहिए।
एशिया में एक पास्टर को कई सालों तक एक विशेष गांव में प्रभु ने बहुत शक्तिशाली तरीके से इस्तेमाल किया। उसकी सफलता ने उसे घमंड और आत्मिक लापरवाही की ओर आकर्षित किया। एक रात देर से एक युवती ने उसके साथ मोटरसाइकिल पर चलने के लिए कहा। वह मूर्खतापूर्वक सहमत हो गया, भले ही वह जानता था कि इससे उसे प्रलोभन मिलेगा और समाज में उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँच सकता है। जब उसके सदस्यों को उसके इस कार्य के विषय पता चला, तो उन्होंने उसकी ईमानदारी पर भरोसा खो दिया। अंततः उसे अपनी सेवकाई से त्याग-पत्र देना पड़ा। परमेश्वर की कृपा से, इस पास्टर ने परमेश्वर और उन लोगों के सामने स्वयं को विनम्र किया जिन्हें उसने चोट पहुँचाई थी। उसने अपने आत्मिक अगुए के अनुशासन को स्वीकार किया। धीरे-धीरे भरोसा पुन:स्थापित हुआ, और उसकी सेवकाई की प्रभावशीलता बढ़ गई।
► क्या होता है यदि एक अगुए पर भरोसा नहीं किया जाता?
(2) एक पत्नी का पति
संसार के कई भागों में बहुविवाह एक सामान्य प्रथा रही है। परमेश्वर की योजना है कि एक व्यक्ति की एक ही पत्नी हो। पास्टर को आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए। इस आवश्यकता का तात्पर्य है कि पास्टर को एक अच्छा पति बनने का पूरा प्रयास करना चाहिए। उसे अपनी पत्नी के प्रति विश्वासयोग्य और प्यार करने वाला होना चाहिए।
पास्टर को अपनी सेवकाई के प्रति संयमी होना चाहिए। उसे आवेगशील व्यक्ति नहीं होना चाहिए जो बहुत जल्दी या अपनी भावनाओं में बहकर निर्णय ले ले। उसे महत्वपूर्ण बातों के विषय शांति से सोचने में सक्षम होना चाहिए। उसे अपने मन को व्यक्तिगत चिंताओं, मनोरंजन या प्रलोभनों से अपनी सेवकाई से विचलित नहीं होने देना चाहिए।
(4) सभ्य
पास्टर का व्यवहार साफ-सुथरा होना चाहिए। उसे अनुचित तरीके से व्यवहार नहीं करना चाहिए। उसका व्यवहार धार्मिकता के उन सिद्धांतों के अनुरूप होना चाहिए जो वह सिखाता है।
एक पास्टर को उस स्थान के रीति-रिवाजों का सम्मान करना सीखना चाहिए जहाँ वह सेवा करता है। यदि उसे बोध होता है कि उसने कोई गलती की है जिससे किसी को ठेस पहुँची है, तो उसे नम्र और क्षमाप्रार्थी होना चाहिए।
(5) अतिथि-सत्कार करनेवाला
अतिथि-सत्कार का अर्थ है ऐसे व्यक्ति की ज़रूरतों को पूरा करना जो यात्रा कर रहा है और उसे भोजन और आवास की ज़रूरत है। पास्टर को ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो दूसरों की ज़रूरतों के प्रति अनुकूल। उसे दूसरों के साथ साझा करने के लिए तैयार रहना चाहिए। उसे उन लोगों के साथ भी स्नेहशील और उपकारी होना चाहिए चाहे जिनसे वह पहली बार मिलता हो।
► एक अगुए के लिए यह गुण होना क्यों आवश्यक है?
(6) सिखाने में निपुण
पास्टर को सत्य की व्याख्या करने में निपुण होना चाहिए ताकि लोग इसे समझ सकें। उसे स्वयं पढ़ने और शिक्षित होने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
(7) पियक्कड़ न हो
पास्टर को शराब के प्रभाव में नहीं आना चाहिए। उसका व्यवहार कभी भी शराब के प्रभाव में आए व्यक्ति जैसा नहीं होना चाहिए। यह सिद्धांत अन्य किसी भी पदार्थ पर लागू होगा जिसका प्रभाव नशे समान हो।
(8) मारपीट करनेवाला न हो
पास्टर को बल प्रयोग की धमकी देकर अपनी बात मनवाने का प्रयास नहीं करना चाहिए। उसे किसी ऐसे व्यक्ति को चोट पहुँचाने के लिए तैयार नहीं होना चाहिए जो उसे ठेस पहुँचाता हो। (2 तीमुथियुस 2:24-25 भी देखें)
► एक पास्टर के लिए उचित प्रकार का क्रोध दिखाने के उचित तरीके क्या हैं?
(9) लोभी न हो
वकील, सेल्समैन, राजनेता और इसी तरह के अन्य व्यवसायों में लगे लोग अक्सर लोगों को खुश करने के लिए सच्चाई को एक तरफ करने के लिए लुभाए जाते हैं। एक पास्टर भी लुभाया जाता है, क्योंकि परमेश्वर के वचन की सच्चाई हर किसी को खुश नहीं करती। एक पास्टर को सत्य के प्रति वफादार रहना चाहिए, चाहे इससे उसे आर्थिक रूप से लाभ हो या न हो।
एक पास्टर को कलीसिया की सेवकाई को आर्थिक रूप से समर्थित होते देखना चाहिए। उसे कलीसिया को एक परिवार की तरह चलाना चाहिए जो अपने सदस्यों की देखभाल करे, बजाय इसके कि वह हमेशा यह सोचता रहे कि सदस्यों उसे क्या देना चाहिए।
(10) घर का अच्छा प्रबन्ध करनेवाला हो
पास्टर की अगुआई क्षमता घर पर प्रदर्शित होनी चाहिए। उसे अपने बच्चों पर नियंत्रण रखना चाहिए। यदि वह अपने घर का संचालन नहीं कर सकता, तो वह कलीसिया का संचालन भी नहीं कर पाएगा। इसका मतलब यह नहीं है कि उसके बच्चों का चरित्र उत्तम होना चाहिए, बल्कि यह कि पास्टर ईमानदारी से उनकी अगुआई कर रहा है और उन्हें सुधार रहा है। इसमें वे बच्चे शामिल नहीं हैं जो वयस्क हो चुके हैं और उसके अधिकार से दूर हैं, क्योंकि वह अभी भी उनके लिए जिम्मेदार नहीं है।
(11) नया विश्वासी न हो
यदि किसी व्यक्ति को बहुत जल्दी अधिकार की स्थिति में डाल दिया जाए, तो वह घमंड की ओर आकर्षित होगा। घमंड वह पाप है जिसके कारण शैतान गिर गया। अनुभव के साथ धीरे-धीरे पदोन्नति होनी चाहिए।
► क्या हानि होती है यदि किसी व्यक्ति को बहुत जल्दी अधिकार की स्थिति में डाल दिया जाए?
(12) सुनाम हो
किसी व्यक्ति को पास्टर नियुक्त किए जाने से पहले, कलीसिया के बाहर के लोगों के बीच उसकी अच्छी प्रतिष्ठा होनी चाहिए। उन्हें पता होना चाहिए कि वह जो कुछ भी करता है, उसमें ईमानदार और वफादार है। यदि मसीही विश्वास में आने से पहले उसकी प्रतिष्ठा खराब थी, तो पास्टर बनने से पहले उसे बेहतर प्रतिष्ठा स्थापित करने के लिए समय देना चाहिए।
अफ्रीका में एक पास्टर ने रविवार की सुबह अपना उपदेश दिया, फिर घर जाने के लिए बस में चढ़ गया। किराया चुकाने के बाद, उसने देखा कि कंडक्टर ने बहुत ज़्यादा खुले पैसे लौटा दिए हैं। चूँकि वह एक ईमानदार व्यक्ति था, इसलिए उसने कंडक्टर को अतिरिक्त खुले पैसे वापस देते हुए कहा, “माफ़ कीजिए, श्रीमान, आपने गलती से मुझे बहुत ज़्यादा खुले पैसे दे दिए।” कंडक्टर ने जवाब दिया, “नहीं, मैंने गलती से ऐसा नहीं किया। मैं आपके चर्च के बाहर खड़ा था और ईमानदारी के बारे में आपका उपदेश सुन रहा था। मैंने यह देखने का फैसला किया कि क्या आप इसके अनुसार जीते भी हैं!” बाइबल कहती है कि अच्छी प्रतिष्ठा व्यक्ति का सबसे बड़ा धन है (नीतिवचन 22:1)। जब आपका नाम लिया जाता है तो दूसरों के मन में क्या आता है?
► समूह के लिए एक छात्र को तीतुस 1:5-11 पढ़ना चाहिए।
तीतुस की पत्री में पास्टर के लिए सूचीबद्ध अधिकांश योग्यताएं 1 तीमुथियुस के पदों में भी सूचीबद्ध हैं।
► तीतुस की पत्री में पास्टर के कौन से अतिरिक्त गुण पाए जाते हैं?
(13) सतर्क
यह भाग झूठी शिक्षाओं का उत्तर देने की पास्टर की क्षमता पर जोर देता है। पास्टर की तुलना एक चरवाहे से की जा सकती है जो अपनी भेड़ों की रखवाली करता है। वह अपनी मंडली का रक्षक है। उसे झूठी शिक्षाओं और गलत प्रभावों से सावधान रहना चाहिए। उसे अपने लोगों को सिखाना चाहिए ताकि वे अपनी शिक्षाओं में सुरक्षित रहें। उसे आत्मिक खतरे के विषय लोगों को चेतावनी देने के लिए तैयार रहना चाहिए। उसे कलीसिया में हानिकारक शिक्षाओं को सिखाने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।
पास्टर को सच्ची शिक्षाओं में अच्छी तरह से प्रशिक्षित होना चाहिए और प्रेरक ढंग से समझाने में सक्षम होना चाहिए। इसका उद्देश्य उन लोगों को सही करना है जो झूठी शिक्षाओं में हैं, परन्तु इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि मंडली को गलत रास्ते पर जाने से बचाना है। एक पास्टर को अध्ययन के माध्यम से अपने ज्ञान में लगातार वृद्धि करते रह्ना चाहिए।
"मुझे एक सौ ऐसे प्रचारक दीजिए जो पाप के अलावा अन्य किसी चीज़ से न डरते हों और परमेश्वर के अलावा किसी अन्य चीज़ की इच्छा नहीं रखते हों... वे अकेले ही नरक के द्वार को हिला देंगे और पृथ्वी पर स्वर्ग का राज्य स्थापित कर देंगे।"
- जॉन वेस्ले
डीकनस की योग्यताएँ
► समूह के लिए एक छात्र को प्रेरितों 6:1-6 पढ़ना चाहिए। इस भाग में किस समस्या का वर्णन किया गया है?
पिन्तेकुस्त के तुरंत बाद पहले डीकन नियुक्त किए गए थे। प्रेरितों को प्रार्थना और प्रचार पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता थी। कलीसिया के प्रबंधन के कार्यों में सहायता करने के लिए सात पुरुषों को नियुक्त किया गया था।
एक डीकन पास्टर की सेवा के कार्यों में सहायता करता है। एक डीकन एक प्रचारक हो सकता है, परन्तु प्रचार करना एक डीकन के काम का जरूरी हिस्सा नहीं होता।
► पहले डीकन की क्या योग्यताएँ थीं?
पुरुषों को अच्छी प्रतिष्ठा और पवित्र आत्मा और बुद्धि से परिपूर्ण होना आवश्यक था। वे कलीसिया के लिए धन का प्रबंधन करेंगे, इसलिए ईमानदारी के लिए प्रतिष्ठा आवश्यक थी। उनके काम का कलीसिया पर आत्मिक प्रभाव पड़ेगा, इसलिए यह आवश्यक था कि वे पवित्र आत्मा से भरे हों ताकि पवित्र आत्मा से उनका मार्गदर्शन, अभिषेक और पवित्रता हो। उन्हें कई कठिन परिस्थितियों से निपटना होगा, इसलिए बुद्धि महत्वपूर्ण थी।
प्रेरित पौलुस ने डीकन के लिए योग्यताओं की सूची का विस्तार से वर्णन किया है।
► समूह के लिए एक छात्र को 1 तीमुथियुस 3:8-13 पढ़ना चाहिए।
(1) आदरणीय
डीकन ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जिसका परिवार, मित्रों और समुदाय के साथ संबंधों में आदर हो।
(2) खरा
डीकन के विचार और कार्य उसके शब्दों से मेल खाने चाहिए। डीकन को ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो अपनी हर बात में विश्वसनीय हो। उसे ईमानदार व्यक्ति होना चाहिए।
(3) पियक्कड़ न हो
डीकन को शराब के नशे में रहनेवाला व्यक्ति नहीं होना चाहिए। उसका व्यवहार सम्मानजनक और स्पष्ट होना चाहिए।
(4) लोभी न हो
एक डीकन कलीसिया के लिए धन का प्रबंधन करने और कलीसिया में लोगों की ज़रूरतों का ख्याल रखने के लिए ज़िम्मेदार होगा। उसे ऐसा व्यक्ति नहीं होना चाहिए जो अपने सेवाकार्य से स्वयं को लाभ पहुँचाने का प्रयास करता हो।
(5) शुद्ध विवेक के साथ सही शिक्षा को सम्भालनेवाला हो
जब कोई व्यक्ति पाप में गिरता है, तो वह अक्सर गलत शिक्षाओं पर विश्वास करना आरम्भ कर देता है। यदि कोई व्यक्ति आत्मिक विजय में जीवन व्यतीत करता है, तो सही शिक्षाओं को सम्भालने की उसकी संभावना अधिक होती है।
(6) अनुभवी
किसी व्यक्ति को डीकन का पद दिए जाने से पहले, उसे यह प्रमाणित करने का अवसर मिलना चाहिए कि वह सेवकाई में बुद्धिमान और भरोसेमंद है। बुद्धिमान अगुए लोगों को अधिकार के पद देने से पहले उन्हें सेवा करने के अवसर देंगे।
► ऐसे कौन से उदाहरण हैं कि कोई व्यक्ति अधिकार का पद पाने से पहले किस तरह कलीसिया की सेवकाई में मदद कर सकता है?
(7) विश्वासयोग्य पत्नी का होना
डीकन की सेवा तब खतरे में पड़ जाती है जब उसकी पत्नी की बातचीत, व्यवहार और बर्ताव में एक मसीही का अच्छा उदाहरण न हो।
(8) परिवार का अच्छा प्रबन्ध करनेवाला
पास्टर की तरह, एक डीकन को भी अपने घर का प्रबंधन अच्छी तरह से करना आना चाहिए।
अच्छी तरह से अगुआई करनेवाले एक पास्टर के गुण
► प्रत्येक बात के महत्व पर विचार-विमर्श का आरम्भ इस प्रश्न से करें, “यह गुण क्यों महत्वपूर्ण है?”
1. उसकी विश्वासयोग्यता अन्य संस्थाओं के बीच विभाजित न हो।
2. वह एक सेवकाई टीम बनाने और अन्य लोगों की क्षमताओं का उपयोग करने के लिए तैयार हो।
3. वह अपनी मण्डली को एक आत्मिक परिवार के रूप में जीवन साझा करने के लिए प्रेरित करता है जो सभी ज़रूरतों के बारे में चिंतित रहता हो।
4. वह अपनी कलीसिया की सेवा व्यक्तिगत लाभ के बजाय परमेश्वर और लोगों के प्रति प्रेम से करता हो।
5. आत्मिक प्राथमिकताएँ जैसे: आराधना, सुसमाचार प्रचार और आत्मिक विकास उसकी सेवा का केंद्र हों।
6. उसके पास अपने लोगों का भरोसा और विश्वास होता है।
7. वह कलीसिया को एक स्थायी संस्था के रूप में बनाने के लिए तैयार रहता है जो उसकी नहीं है।
8. वह कलीसिया को परिपक्वता, दशमांश देने की शिक्षा तथा संगति की ओर ले जाता है जो ज़रूरतों को पूरा करने वाली होती है।
9. वह सभी चीजों में ईमानदार होता है, यहां तक कि धन का उपयोग करने में भी।
10. वह धन और कर्मचारियों का अच्छा प्रबंधन करने की क्षमता प्रदर्शित करता है।
एक अच्छे प्रोजेक्ट लीडर के गुण
कलीसिया के लिए किसी प्रोजेक्ट या व्यवसाय का संचालन करने के लिए चुने गए व्यक्ति में ये गुण होने चाहिए। कलीसिया के अगुओं को सदस्यों में ये गुण विकसित करने के लिए काम करना चाहिए ताकि वे कलीसिया की ज़िम्मेदारी निभाने में मदद कर सकें और संचालन टीम में शामिल हो सकें।
► प्रत्येक बात के महत्व पर विचार-विमर्श का आरम्भ इस प्रश्न से करें, “यह गुण क्यों महत्वपूर्ण है?”
1. वह स्थानीय कलीसिया के प्रति संगति करने, दशमांश देने और भागीदारी में विश्वासयोग्य है और उसकी एक सम्मानित मसीही गवाही है।
2. वह स्थानीय कलीसिया में पहले ही से अपने प्रयास और उत्साह लगा रहा है।
3. उसमें पूर्ण रूप से ईमानदारी और उच्च नैतिकता का भाव है।
4. वह पहले से ही अपना अच्छा प्रदर्शन करने के लिए पहल और प्रेरणा दिखा रहा है।
5. वह व्यक्तिगत रूप से अनुशासित, आत्म-प्रेरित और निरंतर सुधार कर रहा है।
6. वह केवल किसी अन्य के निर्देश पर काम करने की क्षमता ही नहीं, परन्तु दूसरों को एकत्र करने और उनकी अगुआई करने की क्षमता भी दर्शाता है।
7. इस प्रोजेक्ट में अपनी जिम्मेदारी के लिये उसमें आवश्यक योग्यता है।
निष्कर्ष
► इस पाठ के कारण आप अपने लक्ष्यों या गतिविधियों में किस प्रकार के परिवर्तन होने की आशा करते हैं?
पाँच सारांश कथन
1. परमेश्वर ने कलीसिया को इस तरह से बनाया है कि इसका संचालन आत्मिक अगुआई के अन्तर्गत हो।
2. कलीसिया की ज़िम्मेदारियों के लिए कई अगुआई भूमिकाओं की आवश्यकता होती है।
3. अगुआई करने की अधिकांश योग्यताओं का सम्बन्ध अच्छे चरित्र से है।
4. एक पास्टर या अन्य सेवकार्य के अगुए को लगातार अच्छे गुणों का विकास करते रहना चाहिए।
5. सेवकार्य के एक अगुए को विश्वसनीय, प्रेरणादायक और भरोसेमंद होना चाहिए।
पाठ 2 के कार्य
1. इस पाठ से जीवन बदलने वाली धारणा का सारांश देते हुए एक लेख लिखें। समझाएँ कि यह क्यों महत्वपूर्ण है। इससे क्या लाभ हो सकता है? इसे न जानने से क्या हानि हो सकती है?
2. व्याख्या करें कि आप इस पाठ के सिद्धांतों को अपने जीवन में कैसे लागू करेंगे। यह पाठ आपके लक्ष्यों को कैसे बदलता है? आप अपनी गतिविधियों को कैसे बदलने की योजना बनाते हैं?
3. पाठ 2 के लिए पाँच सारांश कथन याद करें। अगले कक्षा सत्र की शुरुआत में उन्हें याद से लिखने के लिए तैयार रहें।
4. अगले सत्र से पहले, पढ़ें 1 शमूएल 2:12-36। एली की अगुआई के विषय कुछ टिप्पणियाँ लिखें।
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