अजय को अपनी कलीसिया के शुरूआती वर्षो के बारे में बात करना पसंद है। ‘‘हमने एक उद्यान में मिलना शुरू किया, हमने जिसे देखा सभी को आमंत्रित किया। सर्दी होने पर हम एक पुरानी बस में मिले। हमारे पास कोई बाथरूम नहीं था। बाद में, हम कुछ समय के लिए एक व्यायामशाला में मिले, फिर एक पुरानी कलीसिया भवन में किराए की जगह ली।”
अजय की कलीसिया उन वर्षो में बढ़ रही थी। जो लोग उस कलीसिया के लिए प्रतिबद्ध थे, वे इमारत से आकर्षित नहीं थे। वे लोगों के समूह से आकर्षित थे।
इस पाठ में, जब हम कलीसिया की रचना करने के तरीके के बारे में बात करते है, तो हम एक इमारत के बारे में बात नहीं कर रहें होते हैं। कई महान कलीसियाओं के किस्से हैं कि उन्होंने कठिन परिस्थितियों में कैसे शुरूआत की।
कुछ कलीसियाओं का कहना है कि वे लोगों को आकर्षित नहीं कर पाते थे क्योंकि उनकी इमारत अच्छी नहीं है। सच्चाई यह है कि उनके पास किसी और चीज़ की कमी हैं जो इमारत से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।
मसीही हर जगह लोगों को अपनी कलीसियाओं में आने के लिए आमंत्रित करते हैं। वे आशा करते हैं कि आने वालों को कलीसिया अच्छी लगेगी और वे लगातार आना चाहेगें। उन्हें उम्मीद होती है कि आने वाले सुसमाचार को प्रतिउत्तर देंगे।
► जब आप किसी को कलीसिया में आमंत्रित करते है, तो उस निमंत्रण का क्या मतलब है? आप क्या प्रस्तुत कर रहे होते हैं?
हम उन्हें धार्मिक अभ्यासों में भाग लेने के लिए नहीं कह रहें होते है, जैसे कि वह किसी आवश्यकता को पूरा करना या एक कर्तव्य को पूरा करना होगा। हम यह नहीं मानते है कि धार्मिक अनुष्ठानों का अभ्यास विश्वास के बिना व्यक्ति के लिए प्रभावी होता हैं।
हम उम्मीद नहीं करते हैं कि बिना परिवर्तित हुए वे परमेश्वर की आराधना को समझते हैं।
हम आशा करते हैं कि वे लोगों की मित्रता को पसंद करेंगे और फिर से उनके साथ रहना चाहेंगे।
हमें आशा है कि वे सुसमाचार को स्वीकारेंगे।
कुछ कलीसियाएं अपने कार्यक्रम को बिना आत्मिक रूचि वाले लोगों के लिए आकर्षक बनाने की कोशिश करती हैं। उन्हें आशा है कि अगर लोग कार्यक्रम का आनंद लेते है तो वे आगे भी भाग लेते रहेंगे। समस्या यह है कि यदि मनोरंजन सफल होता हैं तो यह सही हितों के बिना लोगों के एक समूह को आकर्षित करता हैं। मण्डली एक मिश्रित समूह बन जाता है जिसमें कई लोग शामिल होते है जो आराधना में रूचि नहीं रखते हैं, लकिन मनोरंजन का आनंद लेते है। आराधना अगुवे और संगीतकार कलाकार बन जाते हैं। अंततः, ऐसे आराधना अगुवों को तैयार किया गया है जिनकी आराधना में रुचि नहीं होती हैं। आराधना भ्रष्ट हो गयी है।
► इस प्रश्न पर फिर से विचार करें। जब आप किसी को कलीसिया में आमंत्रित करते हैं, तो आप क्या पेश कर रहें हैं? आपको क्या पेश करना चाहिए?
उस महान परिवर्तन के बारे में सोचें जो तब होता है जब एक व्यक्ति परिवर्तित होता है। वह अपने पूर्व धार्मिक पंथ को छोड़ देता है, जो उसे परिवार और दोस्तों से अलग भी कर सकता है। वह पापों से पश्चाताप करता है, जिसका अर्थ हो सकता है कि अधिकाश चीजें छोड़ देना जो उसने सोचा था कि वह उनका आनंद ले सकता है। वह अपने जीवन का नियंत्रण परमेश्वर को सौंप देता हैं।
विश्वास लाते समय होने वाले महान बदलाव के कारण, एक व्यक्ति आमतौर पर उस समुदाय के बारे में सोचे बिना परिवर्तन को स्वीकार नहीं करता है जिसे वह त्याग देगा और एक जिसमे वह प्रवेश करेगा। यदि कोई व्यक्ति किसी मसीही व्यक्ति की गवाही से आकर्षित होता है तो वह उस विश्वास के समुदाय को देखना चाहता है जिसका प्रतिनिधित्व मसीही करते हैं। वह देखना चाहता है कि विश्वास वास्तव में कैसे जिया जाता है। वह मानता है कि जो संदेश वह सुन रहा है उसने पहले से ही विश्वास का एक समुदाय बनाया है कि यदि वह परिवर्तित हो जाता है तो वह उसमें प्रवेश करेगा। यह ऐसा है जैसे वह पूछ रहा हो, “इस संदेश पर विश्वास करने वाले और इसके द्वारा जीने वाले लोगों का समूह कहां है? मेरे लिए उस समूह में होना कैसा होगा?”
यीशु ने राज्य का सुसमाचार का प्रचार किया और स्वर्ग के राज्य के विषय में अक्सर बात की। उसने कहा कि परमेश्वर का राज्य तुम्हारे निकट आ पहुंचा हैं (लूका 10:9)। जिन लोगों ने परमेंश्वर के राज्य में प्रवेश किया, उन्होंने परमेश्वर के शासन को स्वीकार किया, उसके व्यवस्था के द्वारा जीये, और जीवन को एक साथ साझा किेया। परमेश्वर के प्रति उनकी निष्ठा ने उन्हें विश्वास का एक समुदाय बना दिया।
[1]क्योंकि लोगों को सुसमाचार द्वारा बनाए गए विश्वास के समुदाय को देखने की जरूरत होती है इसलिए सुसमाचार प्रचार ऐसे काम नहीं करता है कि एक व्यक्ति ने दूसरे व्यक्ति को समझा-बुझा दिया। लिहाज़ा, स्थानीय कलीसिया आवश्यक है। स्थानीय कलीसिया को विश्वास के समुदाय के तौर पे मनोहर होना चाहिए।
► विश्वास के एक समुदाय के लिए प्रतिबद्ध होने से पहले एक व्यक्ति क्या देखना चाहेगा?
कलीसिया की एक प्रकृति है जिसका ख़ाका परमेश्वर द्वारा बनाया गया है और एक मिशन परमेश्वर द्वारा दिया गया है।।प्रत्येक स्थानीय कलिसिया को परमेश्वर के स्तर अनुसार सर्वश्रेष्ठ होना चाहिए। लोगों को आकर्षित करने के लिए कलीसिया को कुछ अलग नहीं करना चाहिए। हमें कलीसिया को जो वह है उसे कुछ अलग छवि में प्रस्तुत करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
यदि एक कलीसिया उस उद्देश्य को पूरा करती है जो परमेश्वर ने दिया था तो वह सही लोगों को आकर्षित करेगी और एक प्रतिबद्ध समूह का निर्माण करेगी।
यीशु ने अपने शिष्यों में एक कलीसिया की संरचना का निर्माण किया जो मृत्यु और नरक की सभी शक्तियों को चुनौती और उनके ऊपर विजय प्राप्त करेगा। यह सरसों के दाने की तरह छोटा शुरू हुआ था, लेकिन यह आकार और ताकत में बढ़ेगा ...
(रॉबर्ट कोलमैन, द मास्टरस प्लान)।
एक आकर्षक स्थानीय कलीसिया की विशेषताएं
(1) सदस्य यह दर्शाते हैं कि परमेश्वर के साथ उनका संबंध वास्तविक और संतोषजनक है। उद्धार न पाए व्यक्ति का परमेश्वर के साथ कोई भी संबंध नहीं होता है। जब वह देखता है कि जीवन परमेश्वर के साथ कैसे दिखता हैं तो उसे एक ज़रूरत महसूस होगी। सदस्य इसे परमेश्वर को जानने और एक प्रतिबद्ध जीवन जीने की खुशी की गवाही देकर दिखाते हैं। यदि कोई सदस्य अभी भी पाप में जीवन जीता है तब वह कलीसिया में नहीं है तो वह दिखाता है कि वह परमेश्वर से संतुष्ट नहीं हैं।
(2) कलीसिया सत्य के रूप में और परमेश्वर के साथ संबंधों के लिए शर्तों के रूप में सिद्धांत प्रस्तुत करटी है। हम सिद्धांत सिखाते है क्योंकि यह सत्य है, लेकिन केवल इसलिए नहीं कि यह सत्य हैं। सिद्धांत कुछ ऐसे हैं जिसे हमे जानना आवश्यक है क्योंकि हम परमेश्वर के साथ रहना चाहते हैं। जैसे विवाह वायदों के साथ एक संबंध है वैसे ही परमेश्वर के साथ हमारे संबंध में प्रतिबद्धता के वायदे हैं। सिद्धांत हमें बताते हैं कि हम संबंध में कैसे रहते हैं।
(3) कलिसिया परमेश्वर की आराधना करने की खुशी को प्रदर्शित करता है। आराधना का आनंद मनोरंजन के आनंद के समान नहीं है। जो लोग सच्चे परमेश्वर की आराधना नहीं करते हैं, उन्हें आराधना करने से जो आनन्द मिलता है वह महसूस नहीं होता हैं। हम आराधना के लिए तैयार किए गए है; इसलिए, एक बचाया न गया व्यक्ति जो आनंद से भरा हुवा आराधना देखता है, वह उसकी ज़रूरत को महसूस करता हैं।
(4) कलीसिया के सदस्य अनन्त काल के दृष्टिकोण/परिप्रेक्ष्य में जीवन के उद्देश्य को दर्शाते है। मसीहियों को हैरान होने की ज़रूरत नहीं है अगर उनका जीवन अर्थपूर्ण है। जीवन के कठिन समय में मसीहियों के पास विश्राम और साहस हैं। बचाए न गए लोग जीवन के लिए एक संतोषजनक उद्देश्य खोजने के लिए संघर्ष करते हैं, और वे नहीं जानते कि मृत्यु और अनंत काल का सामना कैसे करें।
(5) कलीसिया स्वार्थी लक्ष्यों के बजाय संबध की प्राथमिकता को दर्शाती है। कलीसिया अपने संगठन के निर्माण के उद्देश्य से अपनी मण्डली के लिए प्रचार या देखरेख नहीं करती हैं। संसार के लोग संबंध की उपेक्षा करते हैं या स्वार्थी लक्ष्यों के लिए संबंध का उपयोग करते है।
(6) कलीसिया का संदेश गहरी आत्मिक ज़रूरतों को संतुष्ट करता हैं। बाचाए न गए व्यक्ति के पास एक आत्मिक भूख होती है जो संसार की किसी भी चीज से संतुष्ट नहीं किया जा सकती है। कलीसिया का उपदेश और शिक्षा और परामर्श लोगों की वास्त्विक ज़रूरतों से मेल खाना चाहिए।
(7) कलीसिया विश्वास का एक परिवार है जो अपने सदस्यों से प्यार करता है और उनकी चिंता करता है। अन्य प्रकार के समूह अपने सदस्यों की कुछ ज़रूरतो को पूरा करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन केवल मसीहियों के पास ही सच्ची मसीही सहभागीता हो सकती हैं।
► विशिष्ट तरीके क्या हैं जो एक कलीसिया इन विशेषताओं को दिखा सकती हैं? सही प्राथमिकताओं को बेहतर ढंग से दिखाने के लिए कलीसिया को कौन-सी कुछ चीज़ें शुरू करनी चाहिए?
सुसमाचार प्रचार के लिए कलीसिया को तैयार करना
कलीसिया को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके कार्यक्रम और संगठन उसके सुसमाचार प्रचार और शिष्यत्व के मिशन को पूरा करने में मदद करें। कलीसिया जो कुछ भी करती है वह उस प्राथमिकता के अनुरूप होना चाहिए।
आने वालों का स्वागत
कलीसिया को आने वालों का स्वागत करने और उन्हें सहज महसूस कराने में मदद करने के लिए तैयार रहना चाहिए। कुछ लोग कलीसिया के तौर-तरीकों से परिचित नहीं होते हैं। जब वे कलीसिया जाते हैं तो वे नहीं जानते कि क्या उम्मीद की जाए। उन्हें नहीं पता कि उनसे क्या उम्मीद की जाएगी। कलीसिया में आने से पहले कुछ मिनटों के भीतर, वे या तो खुश होंगे कि वे आए या काश वे नहीं आए होते। कलीसिया को आने वालों के स्वागत के लिए लोगों को तैयार करने की व्यवस्था करनी चाहिए।
कलीसिया को कभी भी गरीबी के कारण लोगों को बाहर नहीं करना चाहिए। कलीसिया में लोगों की अपेक्षित पोशाक को देखकर गरीबों को बाहर नहीं करना चाहिए।
कलीसिया को उन बच्चों की सेवा करने के लिए तैयार रहना चाहिए जो माता-पिता के बिना आते हैं। कलीसिया में आने वाले बच्चों को प्रतिउत्तर देने के लिए लोगों को नियुक्त और प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
आने वालों को एक छोटे समूह की सभा या गृह सभा में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिए जहां वे सीख सकते है और प्रश्न पूछ सकते है।
बाहर, लोगों के बीच पहुंचना
कलीसिया की पहली ज़िम्मेदारी मंडली के प्रतिबद्ध सदस्यो की देखभाल करना है। फिर भी, कलीसिया को हमेशा पड़ोस के लोगो तक पहुंचना चाहिए। कलीसिया में ऐसी गतिविधियां होनी चाहिए जिनसे यह सुनिश्च्ति हो सके कि कलीसिया के बाहर के लोग कलीसिया का कार्य देख रहें हैं और सुसमाचार सुन रहें हैं। इन गतिविधियों में से कुछ बिना पूर्व तैयारी के हो सकती हैं। अगुओं को अन्य गतिविधियों का आयोजन करना होगा । क्षमताओं वाले सदस्यों को इन गतिविधियों के लिए आमंत्रित और प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
कलीसिया को पड़ोस में ज़रूरतों को प्रतिक्रिया देने के तरीके खोजने चाहिए। प्राथमिकता हमेशा परमेश्वर के प्यार को दिखाने ओर बाइबल के सिद्धांतों को प्रदर्शित करने के लिए होनी चाहिए।
छोटे समूह की सेवकाई
जब कोई व्यक्ति बचाया जाता है तो उसे केवल आराधना सभा के लिए ही आमंत्रित नहीं किया जाना चाहिए। उसे तत्काल शिष्यत्व की प्रणाली में आमंत्रित करने की आवश्यकता होती हैं। यह एक पास्टर के साथ व्यक्तिगत मुलाक़ात के साथ शुरू हो सकता हैं। उसे एक छोटे समूह में आमंत्रित किया जा सकता हैं जो साप्तहिक रूप से मिलते हैं।
एक स्वस्थ कलीसिया में आमतौर पर कुछ प्रकार के छोंटे समूह होते है, जहाँ आत्मिक जीवन कायम रहता हैं। इन समूहों में शायद गृह कलीसिया, संडें स्कूल की कक्षाएं या अन्य प्रकार के समूह हो सकते हैं। आत्मिक जवाबदेही और जीवन परिवर्तन आमतौर पर छोटे समूहों में होता है। कलीसिया के अगुवों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि छोटे समूह सक्रिय है जो इन उद्देश्य को पूरा कर रहें हैं। यदि कलीसिया में मौजूद संरचनाएं आत्मिक जीवन को सक्षम नहीं कर रहीं हैं तो बदलावों की आवश्यकता हैं।
दर्शनीय सदस्यता
जो लोग कलीसिया के लिए प्रतिबद्ध होना चाहते है उन्हं विशेष रूप से यह जानना चाहिए कि प्रतिबद्धता का क्या अर्थ है। कुछ कलीसियाओं में सदस्यता की संरचना न होने का दावा किया जाता हैं, लेकिन हर कलीसिया के पास यह जानने का कोई न कोई तरीका होता है कि उसके लोग कौन हैं। सभी को यह जानने की आवश्यकता है कि वे लोग कौन हैं जो कलीसिया बनाते है।
सभी को पता होना चहिए कि सदस्यता के लिए क्या प्रतिबद्धताएं आवश्यक हैं। आवश्यकताओं का और सदस्य बनने के लिए प्रक्रिया का विवरण मुद्रित किया जाना चाहिए।
विश्वास में आया व्यक्ति जो कलीसिया के लिए प्रतिबद्ध है, उसे तुरंत कलीसिया की मदद करने में सक्षम होना चाहिए। इसका मतलब यह नहीं है कि उसे एक पद या नेतृत्व की जिम्मेदारियां दी जानी चाहिए। उसके लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि वह कलीसिया का हिस्सा हैं।
उद्धार पाए नए व्यक्ति के लिए शीघ्र प्रतिउत्तर
शिष्यत्व की शुरूआत उद्दार पाने के समय से होती है। नए विश्वासी की कई तत्काल आवश्यकातएं होती हैं। परमेश्वर के साथ संबंध जारी रखने के लिए, जिसे उसने अभी शुरू किया हैं, उसे यह जानने की ज़रूरत है कि कैसे प्रार्थना करें और बाइबल पढे़ं। उसे नए समुदाय के मित्रों की भी आवश्यकता होती है क्योंकि वह अपने कई पूराने मित्रों को खो देने वाला है। उसे जीवनशैली के कई विषयों में मार्ग दर्शन की आवश्यकता होती है।
कलीसिया को तुरंत ही नए विश्वासी का शिष्यत्व शुरू कर देना चाहिए। तुरंत का मतलब यह नहीं है कि आने वाला रविवार में करें। इसका मतलब है कि तभी जब वह बचाए जाने की प्रार्थना के बाद अपना सिर उठाता है। किसी को कम से कम पहले सप्ताह के लिए इस नए विश्वासी के साथ दैनिक संपर्क की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उसे स्थानीय कलीसिया के कई अन्य विश्वासियों से मिलना चाहिए। उसके पास उन बदलावों पर जो उसमे हो रहे हैं चर्चा करने और उनसे प्रश्न पूछने के अवसर होने चाहिए।
नए विश्वासी को एक छोटे समूह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिए जहां वह सवाल पूछ सकता है और प्रोत्साहन पा सकता है। यदि संभव हो, तो उसके द्वारा पहली सभा में भाग लेने से पहले समूह में कई अन्य लोगों से उसका परिचय करा देना चाहिए। कई सदस्य उसे अपना परिचित बनाने और समूह में उसका स्वागत करने के लिए, समय से पहले फोन कर सकते है। यह उसको समुदाय का भाग होने की भावना का निर्माण शुरू करता हैं।
नए विश्वासी को समूह की अगली बैठक मे शामिल होना चाहिए। पाठ को दोहराते जाना चाहिए ताकि किसी भी समय सदस्य को जोड़ा जा सके। इस तरह नए विश्वासी को सहायता समूह तुरन्त मिल जाता है। जब सदस्य सभी पाठों को पूरा कर लेते हैं, तो वे व्यक्तिगत रूप से पाठ्यक्रम से स्नातक हो जाते हैं।
ज़रूरतों की देखभाल
कलीसिया के लोगों की वित्तीय ज़रूरतों के बारे में कलीसिया को ध्यान रखना चाहिए। कलीसिया के अगुओं के प्रबंध के बिना अधिकांश ज़रूरतों को लोगों द्वारा एक दूसरे की मदद करके किया जाना चाहिए। यदि अधिकांश सदस्य दूसरों की मदद करने की ज़िम्मेदारी महसूस नहीं करते हैं तो उन्होंने अभी तक एक परिपक्व कलीसिया को विकसित नहीं किया है।
कलीसिया के पास ऐसे उपयाजक होने चाहिए जो सुनिश्चित करते हों कि इस पर ध्यान दिया जाए। प्रेरितों की पुस्तक में कलीसिया ने इस उद्देश्य के लिए पहले उपयाजकों को नियुक्त किया था।
सुसमाचार सेवकाई के लिए ज़रूरतों की परवाह करना आवश्यक होता है। लोगों को यह देखने में सक्षम होना चाहिए कि कलीसिया विश्वास का परिवार है जहां सदस्य एक-दूसरों की परवाह करते हैं।
पाठ 15 कार्यभार
एक कलीसिया की कल्पना करें जो इस पाठ में वर्णित सब कुछ करती हैं। लिखें एक काल्पनिक व्यक्ति के विषय में जो कलीसिया का दौरा करता है, उद्धार पा लेता है, और कलीसिया का एक प्रतिबद्ध सदस्य बन जाता हैं। यह सब कैसे होता हैं वर्णन करें।
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