► पढ़िए यूहन्ना 14 एक साथ। चर्चा इस गद्यांश से हम कैसे समझा सकते हैं कि परमेशवर ही त्रियक्ता है।
कई लोग त्रियक्ता के सिद्धांत से अस्पष्ट हो गए हैं क्योंकि यह कहता है कि परमेशवर एक अर्थ में तीन हैं, और एक अर्थ में एक हैं।
हम त्रियक्ता के बारे में एक और उदाहरण देख सकते हैं जो ब्रह्मांड के बारे में है जिसमें हमारे पास एक में तीन पहलू हैं - स्थान, समय और पदार्थ। उन तीनों में से किसी एक के बिना, ब्रह्मांड नहीं होगा।
इन तीनों में से हर एक में तीन पहलू भी शामिल हैं।
स्थान में लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई तीनों एक साथ मिलकर बनी होती है। इनमें से किसी एक परिमान के बिना, स्थान नहीं होगा।
समय में भूत, वर्तमान और भविष्य तीनों एक साथ होते हैं। इनमें से किसी एक पहलू के बिना, समय नहीं होता।
पदार्थ में गति उत्पन्न करने वाली घटनाओं में तेज शामिल होती है - एक में तीन। यदि तेज न होती तो कोई गति या घटना नहीं होती। यदि कोई गति नहीं होती, तो कोई तेज या घटना नहीं होती। यदि कोई घटना नहीं होती, तो ऐसा इसलिए होता क्योंकि वहां कोई तेज या गति नहीं होती।
ऐसा लगता है कि ब्रह्मांड को एक अर्थ में तीन के नमूना पर रूपांकित किया गया है। हो सकता है कि परमेशवर ने खास उद्देश्य से ब्रह्मांड को एक ऐसा रूप दिया हो जो उसकी अपनी स्वभाव को दर्शाता हो।
त्रियक्ता के बारे में बाइबल क्या सिखाती है? यह स्पष्ट रूप से तीन भिन्न व्यक्तियों के मौजुदगी की पुष्टि करता है जिन्हें ब्रह्मांड के एक परमेशवर के रूप में पहचाना जाता है। यह कोई निराकरण नहीं है क्योंकि हम यह नहीं कह रहे हैं कि परमेशवर एक व्यक्ति और तीन व्यक्ति दोनों हैं। न ही हम यह कह रहे हैं कि परमेशवर एक परमेशवर और तीन परमेशवर दोनों हैं। हम कह रहे हैं कि परमेशवर मूलतः एक है और साक्षात तीन है। जिस तरह एक ब्रह्मांड स्थान समय और पदार्थ के रूप में मौजूद है, उसी तरह एक परमेशवर पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के रूप में मौजूद है।
त्रियक्ता के लिए बाइबिल प्रमाण
आधार 1: परमेश्वर केवल एक ही है।
हे इस्राएल, सुन, यहोवा हमारा परमेश्वर है, यहोवा एक ही है (व्यवस्थाविवरण 6:4)।
क्योंकि परमेश्वर मैं ही हूँ, दूसरा कोई नहीं; मैं ही परमेश्वर हूँ और मेरे तुल्य कोई भी नहीं है (यशायाह 46:9)।
आधार 2: पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा सभी परमेश्वर हैं।
परमेश्वर पिता (गलातियों 1:1)।
वचन परमेश्वर था... वचन देहधारी हुआ (यूहन्ना 1:1, 14)।
शैतान ने तेरे मन में यह बात क्यों डाली कि तू पवित्र आत्मा से झूठ बोले...? तू मनुष्यों से नहीं, परन्तु परमेश्वर से झूठ बोला है (प्रेरितों 5:3-4)।
आधार 3: ये तीनों एक-दूसरे से भिन्न व्यक्तियों के रूप में संबंधित हैं।
► हमें कैसे पता चलेगा कि वे अलग-अलग भूमिकाओं में केवल एक व्यक्ति नहीं बल्कि तीन व्यक्ति हैं?
मरकुस 1:10-11 में, यीशु को बपतिस्मा दिया जाता है, पवित्र आत्मा कबूतर की तरह उतरता है, और स्वर्ग से एक आवाज़ कहती है, “तू मेरा प्रिय पुत्र है, तुझ से मैं प्रसन्न हूँ”। हम यहां देखते हैं कि पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा एक ही व्यक्ति नहीं हो सकते; वे एक ही समय में विभिन्न भूमिकाएँ निभा रहे हैं।
अपने सेवा के अंत में, यीशु ने कहा कि वह पिता से हमारे लिए एक और सहायक - पवित्र आत्मा - भेजने के लिए कहेगा (यूहन्ना 15:26)। क्या आप इस अनुरोध में तीन भिन्न व्यक्तियों को शामिल देखते हैं?
यदि आप यूहन्ना 14-17, पढ़ते हैं, तो आपको पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के बीच बातचीत के कई संदर्भ मिलते हैं।
समापन: बाइबल के एक सच्चे परमेश्वर ने ख़ुद को तीन भिन्न व्यक्तियों में प्रकट किया है: पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा। परमेश्वर स्वभाव में एक है, लेकिन व्यक्तिगत रूप से तीन है।
तो, हालांकि ट्रिनिटी (त्रियक्ता) शब्द बाइबिल में नहीं आता है, ट्रिनिटी का सिद्धांत स्पष्ट शास्त्रीय कथनों पर आधारित है। ट्रिनिटी शब्द एक ऐसा शब्द है जिसका उपयोग हम इस सिद्धांत के बारे में बाइबल द्वारा सिखाई गई सभी बातों को ख़ुला रूप में प्रस्तुत करने के लिए करते हैं।
बाइबिल का यह सिद्धांत प्रेरितों के समय से ही कलिसिया द्वारा सिखाया जाता रहा है। यहां एक चित्र है जिसे कलिसिया ने ट्रिनिटी (त्रियक्ता) का वर्णन करने के लिए सदियों से उपयोग किया है।
त्रियक्ता का सिद्धांत आवश्यक है.
► इससे कोई फर्क क्यों पड़ता है कि कोई व्यक्ति त्रियक्ता में विश्वास करता है या नहीं
त्रियक्ता का सिद्धांत उन प्रमुख शिक्षाओं को रेखांकित करता है जो सुसमाचार के लिए आवश्यक हैं। उदाहरण के लिए, त्रियक्ता का इन्कार करने वालों में से कुछ इस बात से इन्कार करते हैं कि यीशु परमेश्वर है। परंतु अगर आप जिस यीशु पर विश्वास करते हैं वह परमेश्वर नहीं है, तो आपके पास यीशु नहीं है जो आपको बचा सकता है! केवल एक व्यक्ति जो पापरहित था, सभी लोगों के पापों के लिए मर सकता था। उसका बलिदान असीमित होना चाहिए क्योंकि हमने एक असीमित परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया है। क्योंकि यीशु परमेश्वर है, इसलिए उसने पापरहित असीमित बलिदान को प्रदान किया, जिसने सभी लोगों के पापों के लिए सदैव के लिए भुगतान कर दिया।
यदि हम इन्कार करते हैं कि पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा भिन्न हैं, तो हम परमेश्वर के स्वाभाविक व्यक्तिगत् या सम्बन्धात्मक गुणों का इन्कार कर देते हैं। उदाहरण के लिए, परमेश्वर अनन्तकाल से प्रेमी परमेश्वर नहीं होगा यदि उसे किसी से प्रेम करने के लिए सृष्टि करने तक प्रतीक्षा करनी पड़े। परन्तु यदि परमेश्वर एक से अधिक व्यक्ति हैं, तो ये व्यक्ति अनन्तकाल से एक दूसरे से प्रेम कर सकते हैं। इस सम्बन्धात्मक परमेश्वर (जो आत्म-देने वाले प्रेम में विद्यमान है) में विश्वास करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उस तरीके को प्रभावित करता है, जिस तरह से हम एक दूसरे से सम्बन्धित हैं, साथ ही साथ परमेश्वर से भी।
शायद सबसे गंभीर हिस्सा यह है कि हमें परमेश्वर की आराधना करनी चाहिए। जो लोग त्रियक्ता का इन्कार करते हैं, वे सामान्य रूप से इन्कार करते हैं कि यीशु और पवित्र आत्मा परमेश्वर हैं, इसलिए वे उनकी आराधना नहीं करते हैं। सबसे बुरी गलतियों में से एक जो एक व्यक्ति कर सकता है वह है या तो किसी ऐसे व्यक्ति की आराधना करना जो परमेश्वर नहीं है या किसी ऐसे व्यक्ति की आराधना करने में विफल रहता है जो परमेश्वर है।
जॉन स्टॉट की दैनिक त्रित्ववादियों प्रार्थना
स्वर्गीय पिता, मैं प्रार्थना करता हूं कि मैं इस दिन को आपकी उपस्थिति में जी सकूं और आपको अधिक से अधिक प्रसन्न कर सकूं।
प्रभु यीशु, मैं प्रार्थना करता हूँ कि आज के दिन मैं अपना सलीब उठाऊँ और आपके पीछे हो लूँ।
पवित्र आत्मा, मैं प्रार्थना करता हूं कि आज आप मुझे अपने आप से भर देंगे और मेरे जीवन में अपना फल पकाना: प्रेम, आनंद, शांति, धैर्य, दयालुता, भलाई, विश्वास, नम्रता और आत्म-नियंत्रण।
पवित्र, आशीष और महिमामय त्रियक्ता, एक परमेश्वर में तीन व्यक्ति, मुझ पर दया करें।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर, ब्रह्मांड के निर्माता और पालनकर्ता, मैं आपकी आराधना करता हूं।
प्रभु यीशु मसीह, उद्धारकर्ता और संसार के प्रभु, मैं आपकी आराधना करता हूं।
पवित्र आत्मा, परमेश्वर के लोगों पवित्र करनेवाला पवित्र, मैं आपकी आराधना करता हूं।
पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो,
जैसा कि आदि में था, अब है, और हमेशा के लिए रहेगा, आमीन।
पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा रिश्ते में रहने वाले व्यक्ति हैं
पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा हर एक के पास व्यक्तित्व है और वे हमेशा एक-दूसरे के साथ व्यक्तिगत संबंध में रहते हैं। हम उन्हें व्यक्ति कहते हैं क्योंकि वे एक-दूसरे के साथ रिश्ते में रहते हैं। वे एक-दूसरे से प्यार करते हैं, एक-दूसरे को देते हैं, एक-दूसरे से बात करते हैं और एक-दूसरे के लिए जीते हैं। इससे पता चलता है कि वे व्यक्ति हैं.
ट्रिनिटी (त्रियक्ता) में ढांचा
पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा हमेशा रिश्तों की ढांचा में मौजूद रहे हैं। पिता प्रदान है, फिर पुत्र, फिर पवित्र आत्मा। इन तीन अनन्त और समान व्यक्तियों के पास एक-दूसरे के साथ अपने संबंधों के आधार पर अधिकार का स्थान होता है। अधिकार की यह ढांचा परिवार और कलिसिया में प्रतिबिंबित होती है। त्रियक्ता के सदस्यों की तरह, एक परिवार या कलिसिया के सभी सदस्यों का मूल्य समान है, लेकिन सभी के पास अधिकार की समान स्थिति नहीं है।
बेटे का अपने पिता से संबंध
पुत्र का पिता से क्या संबंध है? यीशु ने कहा कि पिता ने उसे पुत्र के रूप में जीवन दिया है, जैसे पिता अपने आप में जीवन रखता है (यूहन्ना 5:26)। अनंत काल से पुत्र पिता का एकमात्र पुत्र रहा है (यूहन्ना 3:16)। पुत्र परमेश्वर के रूप में शाश्वत रूप से खुद मौजूद है, और पिता के समान स्वभाव का है, फिर भी उसका अस्तित्व पिता से है। शाश्वत रूप से, पुत्र ने पिता के साथ पुत्र के रूप में संबंध रखा है, और पिता ने पुत्र के साथ पिता के रूप में संबंध रखा है, हालांकि भौतिक अर्थ में नहीं।
यीशु अपने स्वभाव में पिता के समान हैं। उसे पिता के समान स्तर पर आराधना और महिमा करना चाहिए। यीशु ने कहा कि सभी को उसका आदर करना चाहिए जैसे वे पिता का आदर करते हैं (यूहन्ना 5:23)।
पिता और पुत्र के साथ पवित्र आत्मा का संबंध
यूहन्ना 15:26 में यीशु ने कहा कि वह हमारे पास पवित्र आत्मा भेजेगा, जो पिता की ओर से आता है। यद्यपि आत्मा पिता से निकलता है, वह पिता और पुत्र के बराबर है, और समान रूप से सम्मानित किया जाना है। ध्यान रहे कि यह कार्यवाही और भेजने का कार्य एक दूसरे के प्रेम संबंध में रहने वाले तीन व्यक्तियों के बीच हो रहा है।
परमेश्वर की एकता की रक्षा करना
ट्रिनिटी (त्रियक्ता) के तीन व्यक्तियों को अलग-अलग व्यक्ति नहीं माना जाना चाहिए। उनके अस्तित्व की एकता का अर्थ है कि वे एक ही सार के हैं और तीनों व्यक्ति एक दूसरे में समा हैं, एक दूसरे में निवास करते हैं, और एक दूसरे के साथ अपनी विशेषताओं को साझेदारी करते हैं। पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा एक दूसरे में इस तरह से निवास करने का अनुभव करते हैं जैसा मनुष्य नहीं कर सकते।
हर एक व्यक्ति केवल एक व्यक्ति और केवल एक जीव है। परमेश्वर तीन व्यक्ति हैं, फिर भी केवल एक ही जीव हैं। परमेश्वर की एकता की बाइबिल धारणा की रक्षा में मदद करने के लिए, हम त्रियक्ता के सदस्यों को एक दूसरे (लोगों) से अलग नहीं, लेकिन भिन्न (व्यक्तियों) के रूप में बोलते हैं।
हम परमेश्वर के व्यक्तित्व और संबंधों को प्रतिबिंबित करते हैं
परमेश्वर ने हमें अपनी स्वरूप में व्यक्तियों के रूप में बनाया - एक दूसरे से और परमेश्वर से जुड़ने की क्षमता रखते हुए। हममें से प्रत्येक के पास संबंधों के उद्देश्य के लिए एक मन, एक इच्छा और भावनाएँ हैं।
व्यक्तिगत रूप से हम पूर्ण नहीं हैं
परमेश्वर ने आदम को बनाने के बाद कहा, “आदम* का अकेला रहना अच्छा नहीं” (उत्पत्ति 2:18)। फिर उसने हव्वा को बनाया। आदम ईव (हव्वा) के बिना अधूरा था, क्योंकि उसके बिना, उसके पास संबंध बनाने के लिए कोई दूसरा इंसान नहीं था। वास्तव में, एक वचन में लिखा हुआ है कि आदम और हव्वा ने मिलकर परमेश्वर की स्वरूप को प्रतिबिंबित किया: “तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया; नर और नारी करके उसने मनुष्यों की सृष्टि की (उत्पत्ति 1:27)। ऐसा प्रतीत होता है कि आदम और हव्वा के बीच के रिश्ते के बारे में कुछ ऐसा है जिसके कारण वे एक साथ मिलकर परमेश्वर की स्वरूप को आदम की तुलना मे से ज्यादा प्रतिबिंबित करते हैं।
सोचिए हमारे लिए इसका क्या मतलब है. हम संपूर्ण व्यक्ति के रूप में तब तक कार्य नहीं कर सकते जब तक कि हम दूसरों के साथ संबंध में न हों, जैसा कि त्रियक्ता के व्यक्तियों हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि हमें शादी करनी होगी (स्वर्ग में किसी की शादी नहीं होगी, फिर भी हम व्यक्तियों ही रहेंगे), लेकिन हमें दूसरों के साथ संगति रखने की ज़रूरत है।
परमेश्वर की स्वरूप को प्रतिबिंबित करने से संबंधित
परमेश्वर के स्वभाव और कलिसिया के स्वभाव के बीच एक अद्भुत तुलना है। परमेश्वर और कलिसिया दोनों के भीतर एकता और विविधता है। 1 कुरिन्थियों 12 के अनुसार, मसीह का शरीर एक उद्देश्य के लिए एक साथ काम करने वाले कई हिस्सों से बनी एकता है। क्या आप देख सकते हैं कि मसीह का शरीर किस प्रकार परमेश्वर की स्वरूप को प्रतिबिंबित करता है? कलिसिया के सभी विभिन्न सदस्यों से पॉल ने अपेक्षा की कि वे मसीह में एक साथ आगे बडो।
वरन् प्रेम में सच्चाई से चलते हुए सब बातों में उसमें जो सिर है, अर्थात् मसीह में बढ़ते जाएँ, जिससे सारी देह, हर एक जोड़ की सहायता से एक साथ मिलकर और एक साथ गठकर, उस प्रभाव के अनुसार जो हर एक अंग के ठीक–ठीक कार्य करने के द्वारा उस में होता है, अपने आप को बढ़ाती है कि वह प्रेम में उन्नति करती जाए (इफिसियों 4:15-16)।
[1]हम सभी को मसीह की एकता में एक दूसरे को बढ़ने में मदद करने के लिए अपने वरदानों और क्षमताओं का उपयोग करना चाहिए। परमेश्वर की इच्छा है कि हम एक-दूसरे की अनुग्रह बढ़ाने में मदद करके उसके संबंध स्वभाव को प्रतिबिंबित करें। आत्मिक विकास समुदाय में, अन्य विश्वासियों के साथ मजबुत, प्रतिबद्ध संगति में होता है। यह परमेश्वर की सामाजिक प्रकृति को दर्शाता है।
यदि ट्रिनिटी (त्रियक्ता) के सदस्य अनंत काल से एक-दूसरे के लिए आत्म-समर्पण प्रेम में रहते हैं, तो हमें दूसरों के साथ प्रेमपूर्ण संबंधों में रहना चाहिए। हम परमेश्वर के स्वरूप में सामाजिक, संबंधों व्यक्ति के रूप में बनाए गए हैं, इसलिए हमें खुद के बजाय दूसरों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। हमें अपने व्यक्तित्व से अधिक समुदाय पर जोर देना चाहिए। जब हम दूसरों के साथ अपने संबंधों में उनकी त्रिगुणा स्वरूप को प्रतिबिंबित करने का प्रयास करेंगे तो परमेश्वर हमें आशीष देंगे।
[1]“सर्वशक्तिमान और अनन्त परमेश्वर, आपने हमें अपने सेवकों को अनन्त त्रियक्ता की महिमा को स्वीकार करने के लिए एक सच्चे विश्वास की स्वीकारोक्ति और एकता की आराधना करने के लिए ईश्वरीय महिमा की शक्ति से अनुग्रह दिया है। हमें इस विश्वास में स्थिर रखें, कि हम सदैव सभी विपत्तियों से सुरक्षित रहें: हमारे प्रभु यीशु मसीह के माध्यम से, जो आपके और पवित्र आत्मा, एक परमेश्वर, अभी और हमेशा के साथ जीवित और राज करता है। आमेन "।
- सामान्य प्रार्थना की पुस्तक
त्रित्ववादियों के आराधना
त्रित्ववादियों के आराधना यह मानती है कि हम आत्मा की सहायता से और पुत्र के प्रायश्चित कार्य के आधार पर पिता के पास आते हैं। त्रित्ववादियों के रूप में, हमें पिता से, आत्मा में, पुत्र के माध्यम से प्रार्थना करनी है।
आराधना का बहुत जरूरी एक लक्ष्य हमारे लिए उस प्रेम संबंध में प्रवेश करना है जो ट्रिनिटी (त्रियक्ता) के सदस्यों के बीच एक दूसरे के लिए है। पिता और पुत्र के बीच मौजूद प्रेम के बारे में सोचें। सोचें कि मसीह ने सलीब पर क्या किया ताकि हम उस प्रेम का अनुभव कर सकें। पिता और पुत्र एक-दूसरे के साथ अद्भुत एकता में रहते हैं, और पुत्र के प्रायश्चित कार्य के कारण, आत्मा हमें उस उत्कट प्रेम संबंध में भाग लेने में मदद करने में सक्षम है।
त्रित्ववादियों के रूप में, हम न केवल पिता से, आत्मा में, पुत्र के माध्यम से प्रार्थना करते हैं, बल्कि हम पिता, पुत्र और आत्मा से भी प्रार्थना करते हैं। त्रियक्ता के हर एक सदस्य की आराधना और महिमा की जानी चाहिए, क्योंकि वे सभी परमेश्वर हैं और उन्हें समान रूप से सम्मानित किया जाना चाहिए। त्रित्ववादियों आराधना ट्रिनिटी (त्रियक्ता) के हर एक सदस्य को समान रूप से महिमा प्रदान करती है, हमारे उद्धार में प्रत्येक की भूमिका को पहचानती है।
बचने के लिए त्रुटियां: त्रिएकत्व के बारे में सिद्धांत
कक्षा नायक के लिए टिप्पणी: कक्षा का एक सदस्य इस खंड को समझा सकता है।
हम यह नहीं समझते कि बीज मिट्टी में क्यों उगता है, या दिमाक कैसे काम करता है, या कौन सी ताकतें सितारों को उनके स्थान पर रखती हैं। वैज्ञानिक देखते हैं कि क्या होता है, लेकिन वे यह नहीं बता पाते कि ऐसा क्यों और कैसे होता है। किसी व्यक्ति के लिए ट्रिनिटी (त्रियक्ता) के सिद्धांत को अस्वीकार करने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि वह इसे पूरी तरह से समझा नहीं सकता है। परमेश्वर के बारे में प्रत्येक सिद्धांत हमारी विवरण से परे है। उदाहरण के लिए, कोई भी यह नहीं समझा सकता कि परमेश्वर हर जगह कैसे हो सकता है और सभी चीज़ों को जान सकता है। ट्रिनिटी (त्रियक्ता) के तथ्य तर्कविरय्द्ध नहीं हैं, लेकिन वे मानवीय अनुभव और शर्तों से परे हैं। समुद्र में एक मछली, भले ही वह बुद्धिमान हो, कभी नहीं समझ सकती कि इंसान होना क्या होता है, भले ही उसे समझाया गया हो।
ट्रिनिटी (त्रियक्ता) का तथ्य यह है कि प्रकृति में समान और ईश्वरत्व में समान तीन व्यक्तियों में एक परमेश्वर मौजूद है। लोगों ने इसे समझाने की कोशिश की है, लेकिन वे अक्सर एक महत्वपूर्ण हिस्सा खो देते हैं। नीचे त्रुटियां के कुछ उदाहरण दिए गए हैं.
1. परमेश्वर वास्तव में एक ही व्यक्ति है जिसने विभिन्न भूमिकाएँ निभाई हैं। इस सिद्धांत में, स्वर्ग में परमेश्वर पिता थे, पृथ्वी पर वह यीशु थे, और अब वह पवित्र आत्मा के रूप में हमसे बात करते हैं। लेकिन यूहन्ना 14-16 के पूरे अध्याय में, यीशु के शब्द उनके, पिता और पवित्र आत्मा के बीच बातचीत का वर्णन करते हैं। यदि वे तीन भिन्न व्यक्ति नहीं होते तो इस विवरण का कोई मतलब नहीं होता।
2. पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा अलग-अलग जीव हैं। इस सिद्धांत के अनुसार इनके स्वभाव में भिन्नता हो सकती है। उदाहरण के लिए, पिता वह हो सकता है जो न्याय करना चाहता है, लेकिन पुत्र दया दिखाना चाहता है। यह विचार बाइबिल के सिद्धांत का खंडन करता है कि केवल एक ही परमेश्वर है।
3.त्रियक्ता का एक व्यक्ति दूसरे से कम है। जो व्यक्ति इस विचार को मानता है वह पिता को परमेश्वर और पुत्र तथा पवित्र आत्मा को कमतर व्यक्ति मानता है। वह आत्मा के व्यक्तित्व को इनकार सकता है और पुत्र के बारे में सोच सकता है कि वह एक विशेष व्यक्ति है जिसे परमेश्वर ने इस्तेमाल किया था। यह भूल लोगों को परमेश्वर के रूप में पुत्र और पवित्र आत्मा की आराधना नहीं करने का कारण बनती है और झूठे सुसमाचार की ओर ले जा सकती है।
► विश्वासों के कथन को एक साथ कम से कम दो बार पढ़ें।
विश्वासों का कथन
परमेश्वर एक त्रियक्ता है, तीन व्यक्तियों में एक परमेश्वर, पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा। तीनों भूमिका में भिन्न हैं, लेकिन प्रकृति में समान हैं और देवत्व के गुणों में समान हैं और समान रूप से आराधना के योग्य हैं।
पाठ 3 का कार्य
(1) गद्यांश का कार्य: प्रत्येक छात्र को नीचे सूचीबद्ध गद्यांश में से एक सौंपा जाएगा। अगले कक्षा सत्र से पहले, आपको गद्यांश को पढ़ना चाहिए और इस पाठ के विषय के बारे में जो कुछ भी कहता है, उसके बारे में एक प्रकरण लिखना चाहिए।
यूहन्ना 15:26
यूहन्ना 17:1-5
इफिसियों 1:17-23
कुलुस्सियों 1:12-19
इब्रानियों 1:1-3, 8
(2) परीक्षा: आप अगली कक्षा की शुरुआत पाठ 3 पर एक परीक्षा के साथ करेंगे। तैयारी में परीक्षण प्रश्नों का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें।
(3) शिक्षण का कार्य: अपने कक्षा से बाहर के शिक्षण समय को सूची बनाना और विवरण करना याद रखें।
पाठ 3 परीक्षा
(1) ब्रह्मांड परमेश्वर के स्वरूप को कैसे स्पष्ट करता है?
(2) त्रियक्ता के सिद्धांत की नींव बाइबिल के कौन से तीन आधार हैं?
(3) त्रियक्ता के भीतर रिश्तों की रचना क्या है?
(4) एक परिवार या कलिसिया की रचना त्रियक्ता की रचना से कैसे तुलना योग्य है?
(5) त्रित्ववादियों के रूप में, हमें किससे प्रार्थना करनी चाहिए?
(6) त्रियक्ता के बारे में तीन सामान्य गलत सिद्धांतों के नाम बताइए।
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