रुत भारत में एक मसीही परिवार में पली-बढ़ी थी। एक दिन उसके परिवार ने उसे एक जवान प्रचारक सैमुएल के बारे में बताया जिसे एक पत्नी की आवश्यकता थी। उन्होंने सैमुएल से भी उसके बारे में बात की। रुत बोली कि उसकी दिलचस्पी सैमुएल से मिलने में नहीं है। एक शाम वह अपने घर आई और उसे पता चला कि सैमुएल वहाँ कई घंटों से उससे मिलने की प्रतीक्षा कर रहा था। उसे सैमुएल को देखकर ख़ुशी नहीं हुई, पर वह बैठ गई कि सैमुएल उससे बात कर सके। उसने उससे कहा, “मैं एक बाइबल संस्थान शिक्षक हूँ। मुझे अधिक वेतन नहीं मिलता। मैं सुसमाचार प्रचार करने लिए कठिनाई भरे क्षेत्रों में भी जाता हूँ, और कई बार मैं बाहर भूमि पर ही सोता। क्या तुम मेरे साथ दुःख सहने के लिए तैयार हो?” रुत रोने लगी क्योंकि जब वह बोल रहा था, तो उसे महसूस हुआ कि परमेश्वर उससे कह रहा था कि वह वही पुरुष है, जिससे उसे विवाह करना चाहिए। उस बातचीत के बाद, वे विवाह तक एक दूसरे से बहुत कम मिले, पर कभी अकेले नहीं। अब उन्हें साथ में सेवा करते हुए कई वर्ष हो चुके हैं।
एक जीवनसाथी का चुनाव
सावधानी से चुनाव करें!
यीशु ने कहा कि विवाह परमेश्वर की सृष्टि के अनुसार एक आजीवन प्रतिबद्धता है (मत्ती 19:6-8)। आप एक व्यक्ति से केवल इस समय के लिए विवाह नहीं करते हैं। आप एक व्यक्ति को तब तक अपना जीवनसाथी बनाने के लिए विवाह करते हैं, जब तक कि आपमें से कोई एक मर न जाए (रोमियों 7:2)। बुद्धिमानी से निर्णय लें!
आप केवल जीवन के अच्छे समय और खुशियाँ ही साझा नहीं करेंगे। आप जीवन की कठिनाइयों, दुःखों, संकटों और दुःखद घटनाओं को भी साझा करेंगे। आप नहीं जानते कि आपको किस तरह के दुःखों का सामना करना पड़ेगा। कठिन समय में एक भले और धर्मी जीवनसाथी से विवाह करने से बहुत सारी आशीषें मिलती हैं। परन्तु जब आपका जीवनसाथी प्रभु में मजबूत न हो तो कठिन समय तब और भी अधिक बुरा हो सकता है। आप एक व्यक्ति से अपने जीवन भर के लिए विवाह कर रहे हैं—यानी सारी परिस्थितियों के लिए। इसलिए जीवनसाथी को सावधानी से चुनें!
[1] आप किसी ऐसे व्यक्ति से विवाह कर रहे हैं, जिसके साथ आपको अपने परिवार का पालन-पोषण करना है। आप अपने बच्चों के माता या पिता और अपने वंशजों के दादा या दादी को चुन रहे हैं। आप एक ऐसे व्यक्ति को चुन रहे हैं, जिसका आत्मिक जीवन आपके बच्चों के आत्मिक जीवन को अत्याधिक प्रभावित करेग। आप एक ऐसे व्यक्ति को चुन रहे हैं जिसके चरित्र, आदतों और व्यवहार का अनुकरण आपके बच्चे करेंगे (इफिसियों 5:1)। आप उसे चुन रहे हैं, जो आदर्श और बोली के द्वारा आपके बच्चों को आकार देगा और उन्हें प्रशिक्षित करेगा (नीतिवचन 23:26)। एक ऐसे व्यक्ति को चुनें जो आपके बच्चों का पालन-पोषण और देखभाल करेगा, एक ऐसा व्यक्ति जो सावधानी, परिश्रम और प्रेम के साथ उनकी अगुवाई करेगा और उन्हें अनुशासित करेगा। आप एक ऐसे व्यक्ति को चुन रहे हैं जो —या तो भलाई के लिए या हानि के लिए — आगामी पीढ़ियों को प्रभावित करेगा। बुद्धिमानी से चुनाव करें!
► छात्रों को समूह के लिए नीतिवचन 14:1, नीतिवचन 24:3-4, और नीतिवचन 31:10-12, 30 पढ़ना चाहिए।
आपके द्वारा किया गया वैवाहिक साथी का चुनाव आपके जीवन का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण निर्णय है; पहला चुनाव यीशु को अपने निज प्रभु और उद्धारकर्ता के रूप में ग्रहण करना होता है। आपका चुनाव आपके जीवन की दिशा को बदल देगा, परन्तु इसका प्रभाव कई अन्य लोगों पर भी पड़ेगा। एक बुद्धिमानी से भरा चुनाव से आपको और बहुत से अन्य लोगों को भी आशीष मिलेगी। एक मूर्खतापूर्ण चुनाव आपको और बहुत से अन्य लोगों को भी नुकसान पहुँचाएगा। प्रार्थनापूर्वक चुनाव करें!
संसार में कोई भी सिद्ध नहीं हैं। आपकी अपनी समस्याएँ, निर्बलताएँ और असफलताएँ हैं। आपका जीवनसाथी भी सिद्ध नहीं होगा और जीवन भर असिद्ध ही रहेगा। इसलिए एक सिद्ध जीवनसाथी की खोज न करें। इसके बजाय, ऐसे जीवनसाथी की खोज करें जो बिना किसी संकोच के परमेश्वर से प्रेम करता हो। किसी ऐसे व्यक्ति की खोज करें जो गलतियों और असफलताओं को मानने और सुधारने के लिए पर्याप्त विनम्र हो। ऐसा जीवनसाथी आपके लिए आशीष साबित होगा और आप निर्बलता के क्षेत्रों में एक-दूसरे का सहयोग और सहायता कर सकते हैं।
► छात्रों को समूह के लिए नीतिवचन 11:14, नीतिवचन 12:15, नीतिवचन 13:18, और नीतिवचन 23:22 पढ़ना चाहिए।
बुद्धिमानी से चुनाव करें। जीवन भर के लिए चुनाव करें। धर्मी लोगों और अपने माता-पिता से सलाह लें। उनकी चेतावनियों पर ध्यान दें। केवल अपनी भावनाओं की न मानें। यह चुनाव अत्याधिक महत्वपूर्ण है, इसलिए लापरवाह न हों।
एक अविश्वासी से विवाह न करें
एक बात जो परमेश्वर के लिए अत्याधिक महत्वपूर्ण है, वह यह है कि उसके लोग केवल संगी विश्वासियों से ही विवाह करें। यह इसलिए है, क्योंकि एक व्यक्ति के साथ परमेश्वर का सम्बन्ध सम्पूर्ण जीवन और अनन्तकाल में सबसे महत्वपूर्ण बात है। विवाह—सभी मानवीय सम्बन्धों में सबसे निकटतम—यानी एक व्यक्ति के परमेश्वर के साथ सम्बन्ध को प्रभावित करता है। एक अविश्वासी जीवनसाथी के रहते हुए एक विश्वासी के लिए परमेश्वर के साथ घनिष्ठता और सावधानी से चलना अधिक कठिन होता है।
इसके अलावा, माता-पिता का अविश्वास बच्चों को मसीह के विरुद्ध चलने के लिए अत्याधिक प्रभावित करता है। जिन परिवारों में माता या पिता अविश्वासी होते हैं, वहाँ सभी बच्चों के लिए परमेश्वर की सेवा कर पाना अत्याधिक दुर्लभ होता है। परमेश्वर चाहता है कि हम उसकी सेवा करें, और परमेश्वर हमसे कहता है कि हम अपने बच्चों का पालन-पोषण उसकी सेवा करने के लिए करें (उत्पत्ति 18:19; व्यवस्थाविवरण 6:2, 7; मलाकी 2:15)।
पुराने नियम में, इस्राएलियों को विश्वासी परिवार से बाहर किसी से भी विवाह करने की अनुमति नहीं थी। [2] परमेश्वर जानता था कि अविश्वासियों से विवाह करने से लोग अन्य देवताओं की पूजा करने लगेंगे, जिससे सच्चे परमेश्वर के साथ उनका सम्बन्ध बिगड़ जाएगा! पुराना नियम हमें दिखाता है कि इस्राएल में ठीक यही हुआ था।[3]
आज भी, विश्वासियों को केवल विश्वासियों से ही विवाह करना चाहिए। इस पर कोई समझौता न करें। एक अविश्वासी के साथ प्रेम सम्बन्ध होने का बहाना न बनाएँ।
► छात्रों को समूह के लिए 2 कुरिन्थियों 6:14-18 और 1 कुरिन्थियों 7:39 को पढ़ना चाहिए।
जब आपका जीवनसाथी विश्वासी न हो
परमेश्वर नहीं चाहता कि एक अविवाहित विश्वासी किसी अविश्वासी से विवाह करे। यह निश्चित है। परन्तु जब अविश्वासी परिवार से सम्बन्ध रखने वाला कोई पति या पत्नी उद्धार पाने के लिए मसीह के पास आता है, तो उसे अपने न उद्धार न पाए हुए पति या पत्नी से विवाह में तब तक बना रहना चाहिए, जब तक कि वह पति या पत्नी उसके साथ रहने से इनकार न करे (1 कुरिन्थियों 7:12-16)। कुछ विषयों में, अविश्वासी पतियों को उनके मसीही पति या पत्नी के विश्वास के कारण उद्धार मिला है (1 कुरिन्थियों 7:14, 16; 1 पतरस 3:1-2)। परन्तु मसीही अविवाहित लोगों को कभी भी किसी ऐसे व्यक्ति से विवाह के बारे में नहीं सोचना चाहिए जो विश्वासी नहीं है।
सम्भावित जीवनसाथी में विचार करने योग्य चारित्रिक गुण
विवाह की तैयारी करते हुए, व्यक्तियों को ऐसे चारित्रिक गुण विकसित करने चाहिए, जो उनकी अच्छा जीवनसाथी बनने में सहायता करेंगे। जब वे विवाह के लिए किसी की खोज करते हैं, उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति की खोज करनी चाहिए, जो इन्हीं गुणों में बढ़ रहा हो।
[4]1. ऐसे व्यक्ति से विवाह करें, जिसका मसीह के साथ सम्बन्ध आपको मसीह के साथ अपने सम्बन्ध में प्रोत्साहित करेगा और आपको आत्मिक रूप से बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा (2 पतरस 1:5-9, 2 पतरस 3:18)।
2. एक ऐसे व्यक्ति से विवाह करें जिसका चरित्र अच्छा हो। इफिसियों 5:33 पत्नियों को उनके चरित्र की परवाह किए बिना अपने पतियों का आदर करने की आज्ञा देता है, परन्तु ऐसा करना तब अत्याधिक आसान होता है, जब उनका विवाह ऐसे पुरुषों से हुआ हो जो आदर के योग्य हैं। अच्छे चरित्र में क्षमा करने का अभ्यास करना, स्वयं पर नियंत्रण रखना, नम्र होना, परिश्रमी और जिम्मेदार होना और सिखाने की भावना रखना जैसे व्यवहार शामिल हैं। जिस व्यक्ति से आप विवाह करेंगे वह सिद्ध नहीं होगा, परन्तु उसे व्यवहार के गुणों में बढ़ने वाला होना चाहिए।
कलीसिया के अगुवों और उनकी पत्नियों के लिए परमेश्वर के पैमाने अधिक ऊँचे हैं (1 तीमुथियुस 3:2-4, 8-9, 11-12; तीतुस 1:6-8)। यदि किसी कलीसिया के अगुवे का विवाह एक बुरे चरित्र वाले पति या पत्नी से हो जाता है, तो सेवकाई में बड़ी बाधा आती है।
3. किसी ऐसे व्यक्ति से विवाह करें, जो पवित्रता और अच्छे व्यवहार में प्रतिष्ठा का निर्माण कर रहा हो (1 तीमुथियुस 2:9-10, 1 तीमुथियुस 3:7, 2 तीमुथियुस 2:19, तीतुस 1:15, तीतुस 2:4-5)।
4. किसी ऐसे व्यक्ति से विवाह करें, जो बाइबल के अनुसार सोचना सीख रहा हो (भजन संहिता 119:66)। जब उनका सामना परीक्षा, भय, गलत दृष्टिकोण या गलत प्रेरणा से होता है, तो वे परमेश्वर के वचन को याद रखना, विश्वास करना और उसका पालन करना सीखते हैं (नीतिवचन 4:4-6, यहोशू 1:7-8)। आवश्यकता, खतरे, कष्ट, या किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना करते समय, वे परमेश्वर पर ध्यान केंद्रित करना सीखते हैं और उसके वचन में उन्हें आवश्यक सहायता प्राप्त करना सीखते हैं (भजन संहिता 119:50, 92, 114)।
5. किसी ऐसे व्यक्ति से विवाह करें, जो आपके बच्चों के लिए एक अच्छा पिता या माता बने: एक ऐसा व्यक्ति जो उन्हें परमेश्वर की विधियाँ सिखाए और उनके सामने निरन्तर मसीही जीवन जिए (नीतिवचन 6:20-23, इफिसियों 6:4, 2 तीमुथियुस 1:5, 2 तीमुथियुस 3:14-15)।
6. किसी ऐसे व्यक्ति से विवाह करें जिसने धर्मी मित्रों और सलाहकारों से प्रभावित होने का चुनाव किया है (भजन संहिता 119:63, 2 तीमुथियुस 2:22)।
7. किसी ऐसे व्यक्ति से विवाह करें जो अधिकार के अधीन रहता हो। एक पुरुष के लिए यह बुद्धिमानी है कि वह अपनी पत्नी के रूप में एक आज्ञाकारी स्त्री की खोज करे (इफिसियों 5:22)। इसी प्रकार एक स्त्री को ऐसे व्यक्ति से विवाह करना चाहिए जो परमेश्वर और उन लोगों के अधीन रहता हो जिन्हें परमेश्वर ने कलीसिया में, उसकी नौकरी में, सरकार में उस पर अधिकार दिया है (रोमियों 13:1, इफिसियों 6:5-8, इब्रानियों 13:17, 1 पतरस 5:5)। जैसे ही उसका पति परमेश्वर के प्रति समर्पण करेगा, उसे सुरक्षा और आशीष मिलेगा।
► ऊपर सूचीबद्ध गुणों में से कौन से गुण आपको सबसे महत्वपूर्ण लगते हैं? आपने ऐसे कौन से उदाहरण देखे हैं, जो इन गुणों का महत्व दर्शाते हैं?
[1]“आपने अपने परिवार में जन्म लेने का चुनाव नहीं किया; परन्तु आपको यह चुनने का अवसर अवश्य मिलता है कि आप अपना अगला परिवार बनाने के लिए किससे विवाह करेगें।”
- गैरी थॉमस,
पवित्र खोज (The Sacred Search)
[4]एक पुरुष और स्त्री को तब तक एक-दूसरे से विवाह करने के लिए प्रतिबद्ध नहीं होना चाहिए, जब तक कि वे ईमानदारी से यह न कहें कि, मैं अविवाहित रहने की तुलना में, तुमसे विवाह करके प्रभु की सेवा करने में अच्छी तरह से सक्षम हो जाऊँगा।
माता-पिता द्वारा तय किए गए विवाह
कई संस्कृतियों में माता-पिता के लिए अपने बच्चों का विवाह तय करना सामान्य बात होती है। उदाहरण के लिए, एक बड़े देश में माता-पिता अपने बच्चे के लिए सम्भावित जीवनसाथी को ढूँढ़ते हैं और दूसरे माता-पिता से बात करते हैं। सामान्य रूप से, फिर वे अपने पुत्र और पुत्री के एक-दूसरे से मिलने का प्रबन्ध करते हैं। विवाह करने का निर्णय लेने से पहले जवान लोग एक-दूसरे से एक बार, या शायद दो या तीन बार मिल सकते हैं। बच्चों को यह चुनने की अनुमति दी जा सकती है कि उन्हें माता-पिता द्वारा चुने गए व्यक्ति को स्वीकार करना है या नहीं, परन्तु उन्हें एक-दूसरे को अच्छी तरह से जानने का समय नहीं मिलता है।
उन संस्कृतियों में मसीही माता-पिता को बाइबल के मूल्यों का अनुसरण करना चाहिए, क्योंकि वे अपने बच्चों के लिए भावी जीवनसाथी की खोज करते हैं। उन्हें अपने बच्चों के लिए धर्मी, बुद्धिमान और परिपक्व जीवनसाथी की खोज करनी चाहिए। उन्हें ऐसे व्यक्तियों की खोज करनी चाहिए, जो अपने जीवन में परमेश्वर को प्रथम स्थान देते हों। माता-पिता के चुनाव पर इन बातों का किसी व्यक्ति की शिक्षा, पेशे, सामाजिक स्थिति या आर्थिक स्तर से अधिक प्रभाव पड़ना चाहिए।
अपने आप तय किए गए विवाह
ऐसे वयस्क बच्चों के माता-पिता के लिए बुद्धि जो जीवनसाथी चुनने वाले हैं
यूरोप और उत्तरी अमेरिका सहित कुछ समाजों और संस्कृतियों में, जवान वयस्कों के लिए माता-पिता के निर्देश के बिना अपना जीवनसाथी चुनना सामान्य बात है।
इन संस्कृतियों में मसीही माता-पिता को लगता है कि उनके बड़े हो चुके बच्चे के विवाह सम्बन्धी निर्णय पर उनका बहुत कम प्रभाव है। माता-पिता को यह लग सकता है कि यदि उनका बच्चा जिस व्यक्ति से विवाह करने की सोच रहा है, उन्हें वह स्वीकार नहीं है, तो भी उन्हें आपत्ति नहीं करनी चाहिए। शायद वे डरते हैं कि आलोचना करने से भविष्य में उनके बच्चे और दामाद या बहु के साथ उनके सम्बन्धों में समस्याएँ उत्पन्न होंगी।
यहाँ तक कि जब मसीही माता-पिता अपने बच्चों के लिए विवाह तय न करें, तब भी उन्हें अपने बच्चों के जीवनसाथी की चुनाव को प्रभावित करना चाहिए। माता-पिता को अपने बच्चों से इन बातों के बारे में उसी समय बात करनी चाहिए जब वे छोटे हों। माता-पिता को अपने बच्चों की सोच और मूल्यों को सोच-समझकर आकार देना चाहिए (व्यवस्थाविवरण 6:5-9)। एक माता या पिता के रूप में आप ऐसा कैसे कर सकते हैं?
स्वयं एक धर्मी जीवनसाथी और माता-पिता होने का अच्छा नमूना बनें। जब तक आप अपने जीवन में परमेश्वर के सिद्धान्तों का पालन न करें, तब आपके बच्चों के लिए आपके मौखिक निर्देश का कोई महत्व नहीं होगा। यदि आपका नमूना आपकी बात से मेल नहीं खाता है, तो आपके बच्चे आपके शब्दों के बजाय आपके नमूने का अनुसरण करेंगे।
जीवन के उद्देश्य, विवाह के उद्देश्य और अर्थ और जीवनसाथी में क्या देखना है, इसके लिए परमेश्वर के पैमानों पर बल दें (भजन संहिता 34:11-12)। जब हम संसार के पैमानों को देखते, सुनते, या पढ़ते हैं, तब हम अपने बच्चों को सिखाते हैं कि परमेश्वर का वचन हमारी शैली नहीं है, बल्कि संसार हमारी शैली है। ऐसा करने के बजाय, हमें उन उनका ध्यान लोगों ऐसे लोगों पर लगाने के द्वारा अपने बच्चों में भली इच्छाएँ उत्पन्न करनी चाहिए, जो परमेश्वर की भली योजनाओं का अनुसरण करते हैं। हमें उन्हें उन अच्छे परिणामों के बारे में बताना चाहिए, जिनका ये लोग परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता के कारण आनन्द लेते हैं।
अपने बच्चों को सिखाएँ कि जीवनसाथी चुनते समय चरित्र किसी भी अन्य बात से अधिक महत्व रखता है। जब वे छोटे बच्चे हों, तभी से उन्हें अपने बच्चों को आकर्षक शरीर या व्यक्तित्व से अधिक दूसरों के अच्छे चरित्र पर ध्यान देना और उसे महत्व देना सिखाएँ। उन्हें यह देखना सिखाएँ कि उनके साथी जिम्मेदार हैं या आलसी, आज्ञाकारी हैं या विद्रोही, ईमानदार हैं या धोखेबाज। उन्हें उनके रूप-रंग से अधिक उनके चरित्र की परवाह करना सिखाएँ।
यदि माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे जवान वयस्क के रूप में अपना जीवन साथी चुनते समय उनकी पसंद को भी महत्व दें, तो उन्हें अपने छोटे बच्चों को यह सिखाना चाहिए कि पिता और माँ की बात सुनना बुद्धिमानी है! (नीतिवचन 1:8।) किशोरावस्था या वयस्कता में ये बातें सिखाने के लिए बहुत देर हो जाती है; माता-पिता को यह तभी सिखाना चाहिए, जब उनके बच्चे छोटे हों (नीतिवचन 4:3-9)। धर्मी माता-पिता की बात सुनना बच्चों के लिए सुरक्षा और आशीष पाने का परमेश्वर का तरीका है।
जैसा कि पाठ 4 में चर्चा की गई है, माता-पिता नैतिक पवित्रता वाले सम्बन्धों का निर्माण करने में अपने बच्चों की सहायता करने के लिए परमेश्वर के प्रति उत्तरदायी हैं। ऐसा करने के लिए, आपका अपने बच्चे के साथ पहले से एक अच्छा, खुला सम्बन्ध होना चाहिए, जिसमें वे स्वेच्छा से आपके प्रति जवाबदेह हों और आपकी सलाह को स्वीकार करें। इस तरह का सम्बन्ध बचपन के शुरुआती वर्षों में बनता है, क्योंकि आप हर दिन अपने छोटे बच्चों को लगन से सिखाते हैं, प्रशिक्षित करते हैं, उनकी अगुवाई करते हैं और अनुशासित करते हैं।
जीवनसाथी चुनने वाले जवान व्यक्ति के लिए बुद्धि।
परमेश्वर के पास ऐसे जवान विश्वासियों के लिए बुद्धि है, जिन्हें विवाह के बारे में अपना निर्णय स्वयं लेना होगा। अच्छे निर्णय लेने के लिए यहाँ कुछ बुद्धिमानी भरी सलाह दी गई:
(1) बाइबल से बाहर के विकल्पों को अस्वीकार करें।
उदाहरण के लिए, हम जानते हैं कि विश्वासियों के लिए अविश्वासियों से विवाह करना परमेश्वर की इच्छा नहीं है, इसलिए हमें एक अविश्वासी के साथ प्रेम सम्बन्ध रखने के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए।
(2)बुद्धि के लिए प्रार्थना करें (नीतिवचन 2; याकूब 3:13, 17)।
जब हम पूरे मन से परमेश्वर की समझ की खोज करते हैं, तो वह हमें बुद्धि देकर प्रसन्न होता है। बुद्धि परमेश्वर के वचन का सावधानी से अध्ययन करने और उसका पालन करने में पाई जाती है। परमेश्वर हमें धर्मी लोगों की सलाह के द्वारा भी बुद्धि देता है। परमेश्वर की बुद्धि को अपनाने से हम पाप और हानि से सुरक्षित रहते हैं। उसकी बुद्धि हमें आशीष प्रदान करती है और हमें अपने जीवन के लिए परमेश्वर की सर्वोत्तम योजना का अनुभव करने का अवसर देती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब हम बुद्धिमानी से भरे निर्णय लेते हैं, तब हम अपने स्वर्गीय पिता की महिमा करते हैं।
(3) पवित्र आत्मा की अगुवाई में चलें (भजन संहिता 119:133, नीतिवचन 3:5-7, यिर्मयाह 10:23)।
पवित्र आत्मा हमें कभी भी परमेश्वर के वचन के उल्लंघन करने के लिए प्रेरित नहीं करेगा। इसके बजाय, वह विश्वासयोग्यता से हमें वचन स्मरण दिलाता है (यूहन्ना 14:26, यूहन्ना 16:13-14)। वह परमेश्वर की आज्ञाकारी सन्तानों की पाप से रक्षा करता और उन्हें जीवन और शान्ति का प्रतिफल देता है (रोमियों 8:5-6, 13-14; गलातियों 5:16, 22-25)। हो सकता है कि आप हमेशा हर स्थिति में परमेश्वर की इच्छा की बारीकियाँ न जानते हों, परन्तु आप जिन बातों को जानते हैं, उनका आपको निश्चित रूप से पालन करना चाहिए। आप जानते हैं कि परमेश्वर चाहता है कि आप आत्मिक और नैतिक रूप से विश्वासयोग्य रहें। आप जानते हैं कि वह चाहता है कि आप कुछ बातों से बचें और कुछ बातों का पालन करें। परमेश्वर के निर्देश के लिए प्रार्थना करते समय वही करें जिसके विषय में आप जानते हैं कि सही है।
(4) धर्मी लोगों की सलाह पर सावधानी से ध्यान दें।
जिन जवानों के माता-पिता धर्मी हैं, उन्हें उनकी बुद्धि की खोज करनी चाहिए। उन्हें अपने विवाह सम्बन्धी विचारों के बारे में अपने माता-पिता के साथ खुला और ईमानदार होना चाहिए। उन्हें अपने माता-पिता की किसी भी चिन्ता पर पूरा ध्यान देना चाहिए। परमेश्वर ने उन्हें हानि से बचाने और उन्हें भली वस्तुएँ प्रदान करने के लिए उनके माता-पिता दिए हैं। जवानों को इन तरीकों से आशीष पाने का अवसर गँवाना नहीं चाहिए।
बहुत से मसीही जवानों के पास परिवार के किसी धर्मी वृद्ध सदस्य का सम्मति नहीं होती है। उन्हें निश्चित रूप से ऐसे धर्मी चरित्र वाले लोगों से सलाह लेनी चाहिए, जिन्होंने अच्छे परिणामों वाले बुद्धिमानी से भरे निर्णय लेने की क्षमता का प्रदर्शन किया है।
हालाँकि, जवानों को अपने माता-पिता के सम्मति को अनदेखा नहीं करना चाहिए, भले ही उनके माता-पिता परमेश्वर की सेवा न भी करते हों। ऐसे कुछ अवसर आ सकते हैं, जिनमें एक जवान व्यक्ति को परमेश्वर की आज्ञा मानने के लिए अपने उद्धार न पाए हुए माता-पिता की इच्छाओं के विरुद्ध जाना पड़ सकता है, परन्तु ऐसा कभी भी विद्रोह (1 शमूएल 15:23) या अनादर (निर्गमन 20:12) से नहीं किया जाना चाहिए। परमेश्वर के प्रति माता-पिता की प्रतिबद्धता की परवाह किए बिना, परमेश्वर उनके मनों को कोमल बना सकता है, ताकि वे अपने पुत्र या पुत्री की विवाह को अपनी आशीर्वाद दे सकें। प्रार्थना करना और अपने माता-पिता केमन को बदलने के लिए परमेश्वर की प्रतीक्षा करना उस पुत्र या पुत्री के विश्वास को परखेगा और मजबूत बनाएगा।
►विवाह सम्बन्धी निर्णय में माता-पिता की भागीदारी के सम्बन्ध में पवित्रशास्त्र के सिद्धान्तों या उदाहरणों पर चर्चा करें। जीवनसाथी की चयन प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए माता-पिता को क्या करना चाहिए? विवाह के निर्णय में एक मसीही वयस्क का अपने माता-पिता के प्रति क्या मनोभाव होना चाहिए?
विवाह से पहले एक जोड़े की मित्रता
यदि प्रेमलाप की अवधि सम्भव है, तो एक पुरुष और स्त्री के लिए विभिन्न परिदृश्यों में एक-दूसरे के साथ समय बिताना अच्छा रहता है। इससे उन्हें यह सीखने की क्षमता मिलती है कि दूसरा व्यक्ति कैसे व्यवहार करता है, वह दूसरों के साथ कैसे बातचीत करता, अनेपक्षित परिस्थितियों में कैसी प्रतिक्रिया करता और विभिन्न स्थितियों को कैसे सम्भालता है। इस समय को साथ में बिताने से उन्हें यह समझने में सहायता मिल सकती है कि क्या वे विवाह योग्य साथी बनेंगे या नहीं।
पवित्रता के प्रति प्रतिबद्धता
► छात्रों को समूह के लिए 1 थिस्सलुनीकियों 4:1-8 और 2 तीमुथियुस 2:19-22 पढ़ना चाहिए।
परमेश्वर ने पुरुषों और स्त्रियों को प्रेम से शारीरिक और भावनात्मक घनिष्ठता की इच्छाओं और क्षमताओं के साथ बनाया है। इन इच्छाओं के कारण, जो मित्र भावी विवाह की सम्भावना की खोज में हैं, उन्हें एक-दूसरे के साथ अपने सम्बन्ध में सावधानी बरतने का लक्ष्य रखना चाहिए। परमेश्वर की मंशा है कि ये इच्छाएँ विवाह की एक विशिष्ट, आजीवन वाचा के भीतर पूरी की जाएँ।
यदि एक पुरुष और स्त्री सोच-समझकर स्वयं को सावधानी और पवित्रता के लिए प्रतिबद्ध नहीं करते हैं, तो यह सम्भावना है कि वे परीक्षा के समय अपनी लालसाओं का अनुसरण करके परमेश्वर की आज्ञा का उल्लंघन करेंगे। परमेश्वर की नैतिक पवित्रता की आवश्यकताओं का उल्लंघन कई मायनों में हानिकारक है और केवल एक पुरुष और स्त्री को ही नहीं, बल्कि कई लोगों को प्रभावित करती है। अनाज्ञाकरिता के परिणामस्वरूप पछतावा, बन्धन, अपराधबोध, लज्जा, भय, अविश्वास और टूटे हुए सम्बन्ध होते हैं।
[1] जो परमेश्वर की पवित्रता की योजना का अनुसरण करते हैं, उन लोगों के लिए बहुत सी आशीषें हैं। जो लोग आज्ञाकारिता के के द्वारा परमेश्वर का आदर करते हैं, वे उस प्रत्येक भली वस्तु का अनुभव कर सकते हैं, जिसकी योजना परमेश्वर ने उनके लिए बनाई है। उन्हें अनाज्ञाकारिता के परिणामों के बजाय, आनन्द और शान्ति मिलेगी। वे एक दूसरे पर भरोसा कर सकेंगे। वे प्रभु के साथ और एक-दूसरे के साथ एक समृद्ध सम्बन्ध बनाने में सक्षम हो जाएँगे।
ये आशीषें परमेश्वर की पवित्रता की योजना का अनुसरण करने के लिए एक मजबूत प्रेरणा हैं। हालाँकि, इस क्षेत्र में सावधानी बरतने के लिए विश्वासियों की सबसे बड़ी प्रेरणा जीवन के हर हिस्से में प्रभु यीशु को आदर देने की उनकी इच्छा होनी चाहिए। एक मिलने वाले जोड़े को पूछना चाहिए, “हम अपने सम्बन्ध में सबसे अच्छी तरह से परमेश्वर का आदर कैसे कर सकते हैं? हम यीशु को सबसे अधिक महिमा कैसे दे सकते हैं?”
[2] अपवित्र कामों से बचने के लिए, एक मिलने वाले जोड़े को शारीरिक संपर्क में आने की हर इच्छा के प्रति सतर्क रहना चाहिए। उन्हें ऐसी जगहों पर लम्बे समय अकेले होने से बचना चाहिए, जहाँ पर उन्हें लगता है कि वे क्या कर रहे हैं, इसके बारे में किसी और को पता नहीं चलेगा। जोड़े तब परीक्षा से संघर्ष करने लगते हैं, जब उनके सम्बन्ध में बातचीत की तुलना में शारीरिक संपर्क अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। वे आत्मिक और सम्बन्धपरक विषयों का अच्छी रीति से सामना करने असमर्थ हो सकते हैं, क्योंकि उनके मन और ह्रदय पर शारीरिक इच्छा हावी हो जाती है। सम्बन्ध की शुरुआत में, साथ में निर्णय लें कि आप विवाह से पहले अपने सम्बन्ध में कौन से विशिष्ट काम करेंगे (और नहीं करेंगे)। आपकी योजना आपमें से प्रत्येक को पाप से बचाने वाली होनी चाहिए, आपके लिए अपने भावी जीवनसाथी से प्रेम करने में सहायक होनी चाहिए, और आपको परमेश्वर का आदर करने में सक्षम बनाने वाली होनी चाहिए। अपनी योजना के प्रति प्रतिबद्ध रहें। धर्मी सलाहकारों के प्रति जवाबदेह बनें और उनकी सलाह और चेतावनियों को सुनें। धर्मी मित्रों और परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर समय बिताएँ।
बढ़ोतरी को बढ़ावा देने वाली गतिविधियाँ
प्रेमालाप परिचित होने का समय है, परन्तु यह बढ़ोतरी का भी समय होना चाहिए। यहाँ ऐसी गतिविधियों के बारे में कुछ विचार दिए गए हैं, जिन्हें एक मिलने वाला जोड़ा साथ में कर सकता है:
कार्य परियोजनाएँ करें।
ऐसी कला सीखें, जो आप दोनों के लिए नई हो।
अच्छी पुस्तकें पढ़ें और उन पर चर्चा करें।
एक जैसे पवित्रशास्त्र के परिच्छेदों का अध्ययन करें या याद करें, फिर उन पर चर्चा करें।
मिलकर सेवकाई की गतिविधियों की योजना बनाएँ और उनका संचालन करें।
बच्चों की एक साथ देखभाल करें।
एक दूसरे के परिवार के साथ समय बिताएँ।
ये गतिविधियाँ:
एक पुरुष और स्त्री की एक-दूसरे को जानने में सहायता करेंगी।
उनकी यह जानने में सहायता करेंगी कि क्या वे एक-दूसरे के लिए उपयुक्त साथी हैं।
एक दूसरे के साथ अच्छे से संवाद करने की उनकी क्षमता बढ़ाएँगी।
उनकी बढ़ने में सहायता करेंगी।
► इनमें से कौन से प्रेमालाप के सिद्धान्त और विचार आपके लिए नए हैं? आपके संदर्भ में विश्वासियों को विवाह से पहले सम्बन्धों में पवित्रता और परमेश्वर का आदर करने के लिए बाइबल के सिद्धान्तों को कैसे लागू करना चाहिए ?
विवाह से पहले चर्चा करने योग्य विषय
ऐसी संस्कृतियों में जहाँ एक जोड़ा निर्णय लेने की प्रक्रिया के हिस्से के रूप में एक-दूसरे को जानता है, वहाँ कुछ ऐसे महत्वपूर्ण विषय होते हैं, जिन पर विवाह से पहले चर्चा की जानी चाहिए।
कुछ संस्कृतियों में, विवाह व्यवस्थाएँ विवाह से पहले इतनी गम्भीर बातचीत की अनुमति नहीं देती हैं। आदर्श रूप से माता-पिता यह सुनिश्चित करने के लिए जानकारी साझा करते हैं कि जवान जोड़ा के लिए अच्छा जोड़ीदार है कि नहीं।
ऐसे विषयों में जहाँ विवाह करने वाले लोग एक-दूसरे के बारे में बहुत कम जानते हैं, वे विवाह के बाद इन विषयों पर काम करते हैं, परन्तु ये विषय उनके चुनाव को प्रभावित नहीं कर सकते, क्योंकि वे पहले ही एक-दूसरे और परमेश्वर के प्रति प्रतिबद्धता कर चुके होते हैं।
एक पुरुष और एक स्त्री की मान्यताएँ, पृष्ठभूमि, संस्कृति, जीवन लक्ष्य और मूल्य जितने अधिक समान होंगे, वे विवाह में उतने ही अधिक अनुकूल हो सकते हैं। यदि सम्भव हो तो, विवाह पर विचार कर रहे जोड़े को निम्नलिखित बातों पर चर्चा करने में समय व्यतीत करना चाहिए:
उनके जीवन लक्ष्य
वे मूल्य जो उनमें से प्रत्येक के लिए महत्वपूर्ण हैं
उनका अपना बचपन और जिस तरह से उनका पालन-पोषण हुआ
उनके माता-पिता और अन्य रिश्तेदारों के साथ उनके सम्बन्ध
उनकी निजी शिक्षा सम्बन्धी मान्यताएँ और विश्वास सम्बन्धी आचरण, जैसे व्यक्तिगत आत्मिक अनुशासन, कलीसिया में उपस्थिति, और सेवा और सेवकाई के कार्य
बच्चों के पालन-पोषण की बारीकियों के बारे में उनकी समझ और विश्वास, जिसमें शिक्षण, प्रशिक्षण, बच्चों को अनुशासित करना और उन्हें मसीह को जानना और उसकी आज्ञा का पालन करना सिखाना शामिल है
खर्च, बचत और कठिन समय में जीवनयापन सहित आर्थिक विषयों के बारे में उनके विचार
उनकी कोई शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य समस्या या विकलांगता, और स्वास्थ्य समस्याएँ, जो उनके परिवारों में सामान्य हैं
सम्बन्ध के इस हिस्से के दौरान आपको जीवन के कठिन और जटिल विषयों पर बात करनी चाहिए। जब आप परमेश्वर और एक-दूसरे को वचन दे चुके होते हैं, तो आपका विवाह अच्छी या बुरी स्थितियों के लिए हो जाता है। विवाह में, एक पति और पत्नी एक-दूसरे के साथ अपना सब कुछ साझा करते हैं, इसलिए विवाह तक पहुँचने के लिए ईमानदारी से बातचीत करना अत्याधिक महत्वपूर्ण है। चर्चाएँ अधिकाधिक खुली और गम्भीर होनी चाहिए। आप जिससे विवाह करना चाहते हैं, यदि वह इन महत्वपूर्ण विषयों पर बात करने को तैयार नहीं है, तो यह एक गम्भीर खतरे का संकेत है।
अपने विवाह से ठीक पहले, एक जोड़े को विवाह के भीतर यौन सम्बन्धों के बारे में अपनी मान्यताओं, अपेक्षाओं और इच्छाओं पर चर्चा करनी चाहिए। सम्बन्ध में बहुत जल्दी यौन सम्बन्धों पर चर्चा करना अनावश्यक परीक्षा उत्पन्न कर सकता है, परन्तु विवाह से पहले इस बारे में बात करना महत्वपूर्ण है।
यह एक दूसरे से विवाह करने वाले पुरुष और स्त्री के लिए सहायक है:
बौद्धिक रूप से समान होना।
वैवाहिक जीवन से भी ऐसी ही आशा रखना।
समान शिक्षा सम्बन्धी विश्वास और आत्मिक आचरण रखना।
धन और समय दोनों के इस्तेमाल के लिए समान मूल्य और आचरण रखना।
जीवन की बारीकियों और बच्चों के पालन-पोषण की साझा समझ होना।
प्रेमालाप में खतरे के संकेत
जॉन ड्रेशर ने आठ ऐसी समस्याओं की सूची प्रदान की है, जिनके कारण एक पुरुष या स्त्री को प्रेमालाप के सम्बन्ध को समाप्त करने पर गम्भीरता से विचार करना चाहिए:[3]
1. आप और आपका मित्र अक्सर एक-दूसरे के साथ बहस करते हैं।
2. आप संवेदनशील विषयों पर चर्चा करने से इसलिए बचते हैं, क्योंकि आप अपने मित्र को भावनात्मक रूप से ठेस पहुँचाने से डरते हैं। यदि आप अपने आप से कहते हैं कि, “अच्छा होगा कि मैं इस बारे में बात न करूँ” — यह एक खतरे का संकेत है। विवाह का अर्थ है कि आपको आत्मविश्वास और प्रेम के साथ कई बातों पर चर्चा करने की आवश्यकता पड़ेगी।
3. आपका सम्बन्ध तेजी से शारीरिक होता चला जा रहा है। एक अविवाहित जोड़े के रूप में आप जितना अधिक शारीरिक रूप से रुचि लेंगे, आप उतना ही कम शब्दों, आवाज के लहजे, चेहरे के भाव और शारीरिक भाषा के साथ बात करना सीख पाएँगे। अधिक छूना और कम बात करना वास्तव में खतरे का संकेत हो सकता है।
4. आपको लगता है कि आप किसी प्रकार के भय के कारण सम्बन्ध में बने हुए हैं। उदाहरण के लिए, “मैं सम्बन्ध समाप्त तो करना चाहता हूँ,” पर मैं किसी को निराश नहीं करना चाहता।
5. आपका मित्र रचनात्मक आलोचना स्वीकार करने में सक्षम नहीं है। जब आपका मित्र गलत होता है, तो क्या वह क्षमा माँगने से इनकार करता है? यह अभी हानिकारक है, और यदि आपने एक-दूसरे से विवाह किया तो बाद में और भी अधिक हानिकारक हो जाएगा।
6. माता-पिता या महत्वपूर्ण मित्रों को आपके सम्बन्ध और आपके सम्भावित विवाह पर आपत्ति है। यह निश्चित रूप से खतरे का संकेत हो सकता है और आपको वह सम्बन्ध समाप्त करने पर विचार करना चाहिए। यह सच है कि आप केवल एक व्यक्ति से विवाह नहीं करते हैं, बल्कि एक ऐसे परिवार में विवाह करते हैं, जिसका आपके विवाह की सुरक्षा और सफलता पर अत्याधिक प्रभाव पड़ेगा।
7. आपका मित्र अत्याधिक ईर्ष्यालु या संदेह करने वाला है। उदाहरण के लिए, यदि आपका मित्र आपकी बात पर प्रश्न उठता है, या अन्य तरीकों से आप पर भरोसा नहीं करता है, तो यह एक खतरे का संकेत है। अविश्वास किसी भी वैवाहिक सम्बन्ध को समाप्त कर देगा। इसलिए, यदि आपका मित्र अत्याधिक ईर्ष्यालु या अविश्वासी है, तो जब तक संभव हो सम्बन्ध को समाप्त कर दें।
8. आपके मन में उस सम्बन्ध को लेकर एक असहज भावना है; विशेषकर तब जब आप अपने मित्र के साथ अकेले होते हैं। आपके मन में यह विचार या सोच है, कि “कुछ गड़बड़ है।” आन्तरिक शान्ति की कमी पर ध्यान दें!
[1]परमेश्वर की आज्ञा का पालन करने का अर्थ यह विश्वास करना है कि वह जानता है कि आपके लिए सबसे अच्छा क्या है और आपके लिए वही चाहता है।
(नीतिवचन 3 देखें)
[2]आपका आज संयम रखना
आपके भावी जीवनसाथी के लिए एक उपहार है।
परमेश्वर की आज्ञा मानने के आपके निर्णय के कारण आपका जीवनसाथी सुरक्षित और सम्मानित महसूस करेगा।
आपका जीवनसाथी अत्याधिक प्रिय महसूस करेगा।
[3]जॉन ड्रेशर John Drescher, अच्छी या बुरी स्थितियोंके लिए: एक विवाह-पूर्व सूची For Better, For Worse: A Premarital Checklist, (Morgantown, PA: Masthof Press, 1999), 30-31।
उपसंहार
नीतिवचन 24:3-4, “घर बुद्धि से बनता है, और समझ के द्वारा स्थिर होता है। ज्ञान के द्वारा कोठरियाँ सब प्रकार की बहुमूल्य और मनोहर वस्तुओं से भर जाती हैं।”
जीवनसाथी का चुनाव किसी के लिए भी सबसे महत्वपूर्ण चुनावों में से एक होता है। परमेश्वर अपनी सन्तानों को उनके सम्भावित जीवनसाथी के बारे में विचार करने और उनसे परिचित होने में बुद्धिमानी से चुनाव करने में सहायता करके प्रसन्न होता है।
सामूहिक चर्चा के लिए
► इस पाठ में कौन सा सिद्धान्त आपके लिए नया था? वह महत्वपूर्ण क्यों है? उसे समझने से आपको अपने सम्बन्धों में किस प्रकार सहायता मिलेगी? उसे समझने से आपकी सेवकाई का दूसरों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
प्रार्थना
हे स्वर्गीय पिता,
हमारा अगुवाई करने और हमारी आवश्यकताएँ पूरी करने के लिए धन्यवाद। तूने अपने वचन में हमें जो सिद्धान्त दिए हैं, उनके लिए तेरा धन्यवाद जिनसे हमें जीवन में महत्वपूर्ण निर्णयों के बारे में बुद्धिमानी से चुनाव करने में सहायता मिलती है।
कृप्या जीवनसाथी चुनते समय अपनी प्राथमिकताएँ तय करने में हमारी सहायता कर। हमारी वह पुरुष और स्त्री बनने में सहायता कर जो तू हमें बनाना चाहता है। नम्र बनने और धर्मी लोगों की सलाह पर ध्यान लगाने में हमारी सहायता कर।
हम ऐसा पवित्र, फलवन्त जीवन जीना चाहते हैं, जिससे तेरा आदर होता हो।
आमीन
पाठ सम्बन्धी नियत कार्य
(1) अपनी सेवकाई के संदर्भ में सिखाने के लिए इस पाठ के एक भाग को चुनें। आप किसी व्यक्ति या जवानों के समूह को सिखा सकते हैं। अपनी कक्षा के अगुवे को बताएँ कि आपने कक्षा से बाहर कब-कब सिखाया है।
(2) लिखित रूप में, अपनी संस्कृति में एक ऐसे धर्मी पुरुष और स्त्री के सम्बन्धों के गुणों का वर्णन करें जो विवाह पर विचार कर रहे हैं या विवाह करने की योजना बना रहे हैं।
(3) चाहे आप विवाहित हों या नहीं, सम्भावित जीवनसाथी में देखने योग्य विशेषताओं की सूची की समीक्षा करें। दिए गए प्रत्येक पवित्रशास्त्र का संदर्भ पढ़ें। परमेश्वर से प्रार्थना करें कि वह आपको दिखाए कि आपको कैसे बढ़ने की आवश्यकता है।
(4) यदि आप अविवाहित हैं और भविष्य में विवाह करने की योजना बना रहे हैं, तो एक सूची बनाएँ जिसमें यह बताया गया हो कि आप जीवनसाथी में किन बातों को ढूँढ़ रहे हैं। आपको इसे अपने कक्षा के अगुवे के साथ साझा करने की आवश्यकता नहीं है, परन्तु उसे बताएँ कि आपने पाठ सम्बन्धी नियत कार्य पूरा कर लिया है।
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