1. एक प्रशिक्षक स्थानीय शिक्षकों को विकसित करने के लिए इस अध्याय में पद्धतियों का उपयोग कर सकता है। यदि किसी स्थानीय कलीसिया में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जो खुद को सिखाने योग्य महसूस करता है, तो एक प्रशिक्षक किसी स्थानीय कार्यक्रम शुरू नहीं कर सकता है, जो तत्काल स्वतंत्र रूप से संचालित होता है। प्रशिक्षक को सम्भावित शिक्षकों की खोज और विकास करना चाहिए। यह अध्याय प्रशिक्षक को बताता है कि स्थानीय शिक्षकों से शुरुआत कैसे करवाई जाए।
2. प्रशिक्षक स्थानीय शिक्षकों को अपने छात्रों के लिए इस पद्धति का उपयोग करने के लिए तैयार करता है। यदि नया प्रशिक्षण स्थान के स्थानीय शिक्षक पहले से ही सिखाने योग्य हैं, तो प्रशिक्षक को इस अध्याय के अभ्यासों का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं है। प्रशिक्षक को स्थानीय शिक्षकों को वह पद्धति सिखानी चाहिए ताकि वे अपने छात्रों को विकसित करने के लिए अभ्यासों का उपयोग कर सकें।
3. एक स्थानीय शिक्षक छात्रों को विकसित करता है। प्रत्येक शिक्षक को छात्रों के सेवकाई कौशल को विकसित करने का प्रयास करना चाहिए। इस अध्याय में वर्णित पद्धतियाँ छात्रों की समूहों के सामने बोलना शुरू करने में सहायता करने के लिए उपयोगी होंगी।
कई बार जब SGC के प्रतिनिधि कलीसियाओं में जाते हैं तो वहाँ वे ऐसे लोगों को पाते हैं जो पाठ्यक्रमों को सिखाना शुरू करने के लिए उसी समय तैयार होते हैं। आमतौर पर, ये सम्भावित शिक्षक ऐसे लोग होते हैं, जिनके पास कुछ शैक्षणिक प्रशिक्षण और शिक्षण अनुभव होता है। वे पाठ्यक्रमों को देखते हैं और उन्हें लगता है कि उन्हें पढ़ाना आसान है। दिशानिर्देश प्रत्येक पाठ्यक्रम के मुखपृष्ठ पर मुद्रित होते हैं। चर्चा प्रश्न प्रदान किए जाते हैं। पाठ्यक्रम केवल पुस्तकें नहीं हैं; वे जैसे हैं उन्हें वैसे ही सिखाया जा सकता है।
पाठ्यक्रम इस तरह से बनाए गए हैं कि पढ़ने का कौशल, बाइबल ज्ञान और शिक्षण क्षमता रखने वाला कोई भी व्यक्ति शीघ्रता से से उनका उपयोग करना सीख सकता है। हालाँकि, कभी-कभी जिन लोगों के पास अधिक शैक्षणिक प्रशिक्षण नहीं होता है, उन्हें लगता है कि वे सिखाने योग्य नहीं हैं। उन्हें लगता है कि केवल एक उच्च प्रशिक्षित व्यक्ति ही सिखा सकता है।
परमेश्वर ने बहुत से लोगों को सिखाने की योग्यता दी है जिन्हें किसी विश्वविद्यालय में पढ़ने का अवसर नहीं मिला है। क्योंकि कलीसिया के लिए शिक्षक आवश्यक हैं, इसलिए हम इस बात को लेकर आश्वस्त हो सकते हैं कि जहाँ कहीं भी कलीसिया मौजूद है, परमेश्वर वहीं पर सामान्य रूप से लोगों को सिखाने की योग्यता क्षमता प्रदान करता है (इफिसियों 4:11-12)।
बहुत से लोग यह नहीं समझते कि उन्होंने अपने सामान्य जीवन में पहले ही शिक्षण कौशल विकसित कर लिया है। वे घर और काम पर बातों को समझाते हैं। वे लोगों की समस्याओं को हल करने में सहायता करते हैं। बातों को समझाने योग्य होने के कारण उनकी प्रतिष्ठा होती है। जब वे स्कूल में छात्र थे तब वे पढ़ने-समझने और समझाने में दक्ष हुआ करते थे। तब वे नहीं जानते थे कि उनमें सिखाने की क्षमता है।
एक प्रशिक्षक को निर्देशित वक्तव्य देने के अनुभवों के द्वारा सम्भावित शिक्षकों की सहायता करनी चाहिए ताकि वे अपनी-अपनी क्षमता का पता लगा सकें। अनुभव के द्वारा, किसी व्यक्ति को समूहों से बात करने का आत्मविश्वास मिलता है।
वक्तव्य देने का अनुभव का निर्माण के तरीके
1. आसान विषयों पर वक्तव्य देने के नियत कार्य दें। भाषण की लम्बाई कुछ ही मिनटों की हो सकती है। यदि छात्र वक्तव्य के लिए समूह के सामने खड़े होने से घबराते हैं, तो वे अपनी कुर्सियों पर बैठे-बैठे ही अपना पहला भाषण दे सकते हैं।
आसान वक्तव्य वाले नियत कार्य के उदाहरण:
अपने बचपन की किसी चुनौती के बारे में बताएँ।
किसी ऐसे रिश्तेदार के बारे में बताएँ जो आपके लिए महत्वपूर्ण था।
किसी अन्य छात्र से कुछ प्रश्न पूछें और फिर उस छात्र का परिचय समूह से कराएँ।
ऐसी कौन सी जगह है जहाँ आप जाना चाहेंगे? क्यों?
पवित्रशास्त्र की अपनी पसंदीदा आयतों में से एक के बारे में बताएँ।
अपने कार्यस्थल पर किसी साधारण दिन के बारे में बताएँ।
हाल ही में आपके द्वारा सुने गए किसी उपदेश से आपको क्या याद आता है?
2. कक्षा में किसी व्यक्ति से सीधे प्रश्न करें। प्रश्न में थोड़ी व्याख्या की आवश्यकता होनी चाहिए, केवल एक संक्षिप्त उत्तर नहीं। प्रश्न कुछ ऐसा होना चाहिए कि जिसका उत्तर व्यक्ति दे सके, ताकि वह अधिक दृढ़ हो जाए और लज्जित न हो।
3. छात्रों को उनके लेखन नियत कार्यों को समूह को समझाने के लिए कहें। पाठ्यक्रमों में विभिन्न लेखन नियत कार्यों की आवश्यकता पड़ती है। यहाँ तक कि यदि प्रशिक्षक केवल एक दिन के लिए वहाँ है, तो छात्रों को किसी एक नियत कार्य को लिखने और उसे प्रस्तुत करने के लिए कुछ समय दिया जा सकता है।
4. शिक्षण के अभ्यास के लिए तीन-तीन के समूहों में विभाजित करें। प्रत्येक व्यक्ति से समूह को एक छोटा खण्ड सिखाने के लिए कहें। इससे उन्हें छोटा दर्शक समूह मिलता और कई छात्रों को एक ही समय में अभ्यास करने का अवसर मिलता है।
5. किसी छात्र से किसी पाठ की पाठ्य-सामग्री के किसी भाग को समझाने के लिए कहें। पाठ्यक्रमों के कई खंडों में केवल कुछ ही अनुच्छेद होते हैं, जो एक अवधारणा की व्याख्या करते हैं। किसी छात्र को समय से पहले कुछ मिनटों में किसी अनुभाग को समझाने के लिए तैयार रहने के लिए कहें।
6. एक उन्नत शिक्षा वाले छात्र से किसी एक पाठ्यक्रम से सबक सिखाने के लिए कहें। एक छात्र के लिए सबसे आसान व्यवस्था वह पाठ सिखाना है जिसे उसने किसी और को सिखाते हुए सुना है। छात्र तब उच्च स्तर की क्षमता का प्रदर्शन करता है जब वह एक ऐसा पाठ तैयार करता है और सिखाता है जो उसे किसी ने नहीं सिखाया है। प्रशिक्षक को लग सकता है कि उसे जितना सम्भव हो उतना सिखाना चाहिए, और शायद कक्षा को प्रशिक्षक को सुनना अच्छा लगता है, परन्तु लक्ष्य दूसरों को सिखाने के लिए तैयार करना है।
7. “मेज वार्ता” वाली पद्धति का प्रयोग करें। छात्र मुद्रित पाठ्यक्रमों सहित एक मेज के इर्दगिर्द बैठते हैं। मेज पर कोई शिक्षक नहीं होता है। विभिन्न छात्र पाठ की किसी बात के बारे में बारी-बारी से बात करते हैं। मेज पर बैठे किसी एक व्यक्ति को नियुक्त किया जाता है कि वह अगुवाई करे और विभिन्न छात्रों से उनके विचार पूछने के द्वारा चर्चा को जारी रखे। वह अगुवा शिक्षक नहीं है। समूह को पता चलेगा कि वे शिक्षक के बिना चर्चा के द्वारा कार्य कर सकते हैं और सीख सकते हैं। यह पद्धति उन जगहों पर अध्ययन समूहों के निर्माण के योग्य बनाती है जहाँ एक ऐसे व्यक्ति की कमी होती है जो सिखाने योग्य महसूस करता है।
उपसंहार
SGC का दर्शन हर प्रशिक्षण स्थान पर सेवकाई के प्रशिक्षण को स्थानीय बनाना है। हर प्रशिक्षण स्थान पर ऐसे लोगों के द्वारा प्रशिक्षण दिया सकता है, जिन्हें परमेश्वर ने योग्यता और बाइबल की समझ के वरदान दिए हैं। शिक्षकों को याद रखना चाहिए कि उनका उद्देश्य केवल ज्ञान देना ही नहीं है बल्कि छात्रों को दूसरों को सच्चाई बताने के लिए तैयार करना है।
SGC exists to equip rising Christian leaders around the world by providing free, high-quality theological resources. We gladly grant permission for you to print and distribute our courses under these simple guidelines:
No Changes – Course content must not be altered in any way.
No Profit Sales – Printed copies may not be sold for profit.
Free Use for Ministry – Churches, schools, and other training ministries may freely print and distribute copies—even if they charge tuition.
No Unauthorized Translations – Please contact us before translating any course into another language.
All materials remain the copyrighted property of Shepherds Global Classroom. We simply ask that you honor the integrity of the content and mission.