कलीसिया के सिद्धान्त और रीतियां
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Lesson 13: एक मसीही अगुवे का चरित्र

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by Stephen Gibson


मसीही नेतृत्व की चुनौतियां

इस पाठ में हम जिन् वचनों अध्ययन करते हैं, वह विशेष रूप से पासबानों और उपयाजकों पर लागू होते है, लेकिन कलीसिया के अन्य अगुवों पर भी लागू होते है। कोई भी व्यक्ति जो कक्षा पढ़ाता है, गृह कलीसिया का नेतृत्व करता है, या आराधना का नेतृत्व करता है, वह भी एक अगुवा है। वे लोग कलीसिया द्वारा स्वीकृत इस प्रकार के व्यक्ति के उदाहरण हैं। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि वे मसीही चरित्र के अच्छे उदाहरण हों।

एक अगुवे का व्यक्तिगत चरित्र उसकी स्वाभाविक योग्यताओं से ज़्यादा महत्वपूर्ण है। परमेश्वर एक मसीही अगुवे को उसकी सेवकाई के लिए ज़रूरी योग्यताएँ देता है।

► एक विद्यार्थी को समूह के लिए 1 तीमुथियुस 3:1-7 पढ़ना चाहिए।

यदि किसी व्यक्ति के पास सही उद्देश्य है तो पासबान के पद की इच्छा करना गलत नहीं है। यदि वह सम्मान और अधिकार या वित्तीय लाभ कमाने का अवसर चाहता है, तो उसके पास पासबान का हृदय नहीं है। उसे सेवा करने के अवसर की इच्छा करनी चाहिए।

हमारे पास पासबान और उपयाजकों की योग्यता के बारे में शास्त्र के दो अंश हैं। इन्हें प्रेरित पौलुस ने तीमुथियुस और तीतुस को लिखा था। तीमुथियुस इफिसुस की कलीसियाओं का प्रमुख था; तीतुस क्रेते की कलीसियाओं का प्रमुख था। उनका काम प्रत्येक स्थानीय मण्डली के लिए पासबान नियुक्त करना था।

कल्पना कीजिए कि कलीसिया की पहली पीढ़ी में पासबान बनने वाले व्यक्ति के लिए कैसा रहा होगा! उसके पास कोई शैक्षणिक प्रशिक्षण नहीं था। उसके पास अध्ययन करने के लिए सेवकाई के बारे में कोई पुस्तकें नहीं थीं। उसे अन्य पासबानों को देखने का अवसर नहीं मिला। उसे लंबे समय तक कलीसिया के जीवन को देखने का अवसर भी नहीं मिला क्योंकि कलीसिया नई थी। यहाँ तक कि नए नियम का अधिकांश भाग भी अभी तक नहीं लिखा गया था।

पौलुस ने तीमुथियुस को बताया कि अपने लोगों का सम्मान कैसे प्राप्त किया जाए। उसने उसे “वचन, और चाल–चलन, और प्रेम, और विश्‍वास, और पवित्रता में” (1 तीमुथियुस 4:12)। एक पासबान सम्मान की माँग करके सम्मान प्राप्त नहीं करता है।

► एक पासबान सम्मान कैसे अर्जित करता है?

प्रेरित ने तीमुथियुस और तीतुस को पासबान के लिए योग्यताएँ बतायी। अधिकांश योग्यताएँ विशेष योग्यता के बजाय मसीही चरित्र और परिपक्वता को संदर्भित करती हैं। इसलिए, प्रत्येक मसीही को इन गुणों को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।