स्थानीय संस्थान पुस्तिका
परिचय
कलीसिया को सिखाना चाहिए। यीशु ने कलीसिया से कहा कि वह हर स्थान पर जाकर उसकी आज्ञाओं के बारे में सिखाए (मत्ती 28:19-20)। पौलुस ने कहा कि एक पास्टर को सिखाने योग्य होना चाहिए (1 तीमुथियुस 3:2)। यह शिक्षा शिष्यत्व के कार्य का हिस्सा है। कलीसिया लोगों को यह सिखाती है कि वे विश्वासियों के रूप में कैसे जीएँ, और परमेश्वर की महिमा के लिए कैसे जीएँ। यह शिक्षा हर उस जगह दी जानी चाहिए जहाँ विश्वासी मौजूद हैं। सामर्थी कलीसियाएँ सिखाने के लिए बाइबल की ऐसी सच्चाई और व्यावहारिक तरीकों से लैस होती हैं, जिनसे वे अपने लोगों को उद्देश्यपूर्ण तरीके से सिखा सकती हैं।
कलीसिया को प्रशिक्षण देना चाहिए।
और जो बातें तू ने बहुत से गवाहों के सामने मुझ से सुनी हैं, उन्हें विश्वासी मनुष्यों को सौंप दे; जो दूसरों को भी सिखाने के योग्य हों (2 तीमुथियुस 2:2)।
शिक्षण की आवश्यकता सेवकाई प्रशिक्षण की आवश्यकता को उत्पन्न करती है। पौलुस ने तीमुथियुस को ऐसे लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए कहा जो दूसरों को सिखाने के योग्य हों (2 तीमुथियुस 2:2)। प्रशिक्षण केवल सूचना के बारे में सिखाना नहीं है। प्रशिक्षण का अर्थ केवल विश्वासियों को अपने लाभ के लिए सिखाना नहीं है। प्रशिक्षण दूसरों की सहायता करने के लिए विश्वासियों को तैयार करता है।
यीशु ने सेवकाई प्रशिक्षण की प्राथमिकता का प्रदर्शन किया। अपनी सेवकाई की शुरुआत में, उसने कुछ ऐसे लोगों को चुना जिन्होंने कलीसिया का मार्गदर्शन किया और उसे बढ़ाया। उसने अपना सारा समय लोगों की भीड़ को उपदेश देने में नहीं लगाया; इसके बजाय, वह अक्सर बारह अगुवों को प्रशिक्षित करने के लिए समय निकाला करता था। उसने अपनी सेवकाई को उन लोगों के द्वारा बढ़ाया जिन्हें उसने प्रशिक्षित किया था।
प्रेरितों 8:26-31 हमें फिलिप्पुस की कहानी बताता है, जिसे परमेश्वर ने सामरिया छोड़कर गाज़ा के पास एक विशेष मार्ग पर जाने के लिए बुलाया। वहाँ उसकी मुलाकात इथियोपिया के एक व्यक्ति से हुई, जो अपने रथ में बैठा यशायाह की भविष्यवाणियाँ पढ़ रहा था। “तू जो पढ़ रहा है क्या उसे समझता भी है?” फिलिप्पुस ने पूछा। उस अफ्रीकी ने उत्तर दिया, “जब तक कोई मुझे न समझाए तो मैं कैसे समझूँ?”
जब तक कोई मुझे न समझाए तो मैं कैसे समझूँ? यह वाक्य हमें दिखाता है कि लोगों को बाइबल की सच्चाई को समझाने के लिए परमेश्वर द्वारा भेजे गए मानवीय शिक्षकों की आवश्यकता होती है। यद्यपि पवित्र आत्मा बहुत सी अलौकिक बातें कर रहा था, फिर भी परमेश्वर मानवीय शिक्षकों का उपयोग कर रहा था। यह प्रशिक्षण की आवश्यकता के प्रति परमेश्वर की सामान्य प्रतिक्रिया है।
Shepherds Global Classroom ऐसे प्रशिक्षकों के हाथों में पाठ्यक्रम देता है जो पुरुषों और स्त्रियों को परमेश्वर के वचन की सच्चाई में मार्गदर्शन कर सकें।
Shepherds Global Classroom ने स्थानीय सेवकाईयों द्वारा संचालित एक हस्तांतरणीय यानी आगे सौंपे जाने वाला प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान किया है।
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